भारत ने 230 करोड़ रुपये के 400 ड्रोन के सौदे को कैंसिल कर दिया है, क्योंकि इन ड्रोंस को बनाने में चीनी सामान का इस्तेमाल किया जा रहा था. घरेलू निर्माताओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए सेना ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तैनात किए जाने वाले ड्रोन सौदे को लेकर यह फैसला लिया है. ये सौदा 200 मीडियम हाइट वाले ड्रोन, 100 भारी वजन वाले और 100 हल्के वजन वाले लॉजिस्टिक्स ड्रोन के लिए था.
प्रभावित कंपनियों में से एक चेन्नई में मौजूद दक्षा थी, जिसने लॉजिस्टिक्स ड्रोन के लिए ऑर्डर हासिल किया था. चीनी पुर्जों के इस्तेमाल होने की वजह से संभावित सिक्योरिटी खतरे पैदा हो सकते थे. ऐसे में अगस्त 2024 से सौदे को रोक लगा दी है. डिफेंस सूत्रों ने कहा कि जांच से पता चला है कि इन ड्रोन में चीनी मूल के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे लगे हुए थे, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते थे.
हालांकि सुरक्षा संबंधी उपकरणों में चीनी पुर्जों के इस्तेमाल से पैदा होने वाली समस्या नई नहीं है. 2010 और 2015 में सैन्य खुफिया महानिदेशालय (DGMI) ने संवेदनशील रक्षा प्रणालियों में चीनी मूल के हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी थी, जबकि इस बात पर ज़ोर दिया था कि एम्बेडेड मैलवेयर और रीयल-टाइम डेटा लीक के जोखिम को रोकने के लिए महत्वपूर्ण और गैर-महत्वपूर्ण घटकों को गैर-चीनी निर्माताओं से प्राप्त किया जाना चाहिए.
अगस्त 2024 में कश्मीर के राजौरी में नियंत्रण रेखा (LoC) पर तैनात सेना की एक पैदल इकाई ने फिक्स्ड-विंग वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (VTOL) ड्रोन पर कंट्रोल खो दिया, जो बाद में पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (PoJK) में चला गया. घटना की जांच के बाद अधिकारियों ने सैन्य-ग्रेड ड्रोन में चीनी मूल के पुर्जों पर पाबंदी को और मजबूत कर दिया.
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