EVM Machines Hacking: ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लेकर अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड की टिप्पणी के बाद यह मामला फिर लाइमलाइट में आ गया है. भारत के चुनाव आयोग ने तुलसी गबार्ड की टिप्पणियों को सिरे से खारिज कर दिया है. चुनाव आयोग के सूत्रों ने शुक्रवार को सभी शंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि देश में इस्तेमाल की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को हैक नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ये मशीन साधारण कैलकुलेटर की तरह काम करती हैं, जो इंटरनेट या ‘इन्फ्रारेड’ से नहीं जुड़ी होतीं.
तुलसी गबार्ड की टिप्पणी का हवाला देते हुए कि उनके दफ्तर ने वोटों में हेराफेरी करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली की हैकिंग के सबूत मिले हैं. सूत्रों ने कहा कि कुछ देश इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं जो इंटरनेट समेत विभिन्न निजी नेटवर्क प्रणालियों, मशीनों और प्रक्रियाओं का मिश्रण है.
क्या बोला चुनाव आयोग?
सूत्रों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल करता है जो सरल, सही और सटीक कैलकुलेटर की तरह काम करती हैं और इन्हें इंटरनेट, वाईफाई या इन्फ्रारेड से नहीं जोड़ा जा सकता. ये मशीन सुप्रीम कोर्ट की ओर से की गई कानूनी जांच-पड़ताल में खरी उतरी हैं और राजनीतिक दल विभिन्न चरणों में इनकी जांच करते हैं.
सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक दलों के सामने गिनती करते समय पांच करोड़ से ज्यादा 'पेपर ट्रेल मशीन पर्चियों' का वेरिफिकेशवन और मिलान किया गया है.
मस्क ने बताया था ईवीएम हैक का खतरा
अमेरिकी व्यवसायी एलन मस्क ने पिछले वर्ष ईवीएम को खत्म करने को कहा था, क्योंकि उन्होंने इन मशीनों को इंसान या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए हैक किए जाने का खतरा बताया था.
जनवरी में तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने मस्क के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, 'एक ग्लोबल आईटी एक्सपर्ट ने कहा कि हमारे चुनाव के दौरान ईवीएम को हैक किया जा सकता है. उनके (अमेरिका के) पास ईवीएम नहीं हैं, उनके पास इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग तंत्र है.' कुमार ने हालांकि मस्क का नाम नहीं लिया था.
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