Captain Shridhar Tata: भारत लगातार हर क्षेत्र में अपनी ताकतों को बढ़ाने में लगा हुआ है. इसी के तहत आज 'आईएनएस तमाल' भी भारतीय नौसेना में शामिल हो गया. यह अत्याधुनिक युद्धपोत न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल, केमिकल रक्षा प्रणाली से लैस है. इसमें हेलिकॉप्टर संचालन की बेहतरीन क्षमता है. INS तमाल की कमान कारगिल संघर्ष के दौरान ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन पराक्रम और एंटी-पायरेसी मिशन जैसे प्रमुख ऑपरेशनों में हिस्सा लेने वाले कैप्टन श्रीधर टाटा संभाल रहे हैं.
किसके हाथ में है कमान?
INS तमाल की कमान संभालने वाले कैप्टन टाटा ने विदेश में फ्रिगेट आकार या उससे बड़े युद्धपोत को कमीशन करने वाले पहले 'साइकोरियन' के रूप में इतिहास रच दिया है. ये आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के सैनिक स्कूल कोरुकोंडा के छात्र रह चुके हैं. उन्हें 26 से अधिक सालों के संचालन का अनुभव है और उन्होंने 12 अलग-अलग युद्धपोतों पर काम किया है. जिसमें कारगिल युद्ध के भी कई मिशन हैं. बता दें कि कैप्टन टाटा 250 से अधिक कर्मियों के दल का भी नेतृत्व कर रहे हैं. टाटा की जड़ें नौसेना से जुड़ी हुई है. उनके पिता और ससुर ने 30 से अधिक वर्षों तक भारतीय वायु सेना में सेवा की और इनके भाई और बहनोई वरिष्ठ पदों पर सेवा दे रहे हैं.
क्या है तमाल की विशेषता
इस युद्धपोत को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल व वर्टिकल लॉन्च सतह से वायु में मार करने वाली मिसाइल से सुसज्जित किया गया है. युद्धपोत 100 मिमी मुख्य तोप, हैवी टॉरपीडो और रॉकेट्स क्षमता युक्त है. तकनीकी विशेषताओं की बात करें तो इसमें उन्नत संचार और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध क्षमताएं हैं. इसे लेकर के वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह ने कहा कि आईएनएस तमाल हमारी नौसेना की मारक क्षमता, पहुंच और प्रतिक्रिया को अधिक सशक्त बनाता है. यह युद्धपोत 'तलवार', 'तेग' और 'तूशील' वर्ग की गौरवशाली श्रृंखला में एक नया आयाम जोड़ता है. उन्होंने रूसी नौसेना, बॉल्टिक फ्लीट, रूसी रक्षा मंत्रालय, यंतर शिपयार्ड और सभी भारतीय-रूसी ओईएम्स को उनके योगदान के लिए सराहना भी की. जहाज में भारतीय और रूसी तकनीकों का मिश्रण है. इसमें एंटी-शिप और लैंड-अटैक दोनों भूमिकाओं के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली शामिल है.
किसके नाम पर रखा गया नाम?
तमाल का नाम देवताओं के राजा इंद्र द्वारा इस्तेमाल कि जाने वाले पौराणिक वज्र के नाम पर रखा गया है. नाम के हिसाब से यह वॉरशिप भी अपनी धारदार मारक क्षमता को दर्शाती है. पिछले 65 वर्षों में भारत-रूस साझेदारी में यह 51वां युद्धपोत है. इसमें 26 प्रतिशत स्वदेशी प्रणाली, जैसे ब्रह्मोस मिसाइल व हुमसा-एनजी सोनार शामिल हैं. जहाज में लगभग 250 नाविक और 26 अधिकारी हैं. इसका ध्येय वाक्य है- “सर्वत्र सर्वदा विजय है. जल्द ही अपने गृह बंदरगाह कारवार (कर्नाटक) के लिए रवाना होगा और रास्ते में कई बंदरगाहों पर जाकर अपनी युद्ध क्षमता का प्रदर्शन करेगा.
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