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DNA: ईरान-इजरायल के आसमान में महासंग्राम, मचा कोहराम; भारत को किसकी दोस्ती की ज्यादा जरूरत?

Petrol-Diesel Prices High: बीते 10 वर्षों में भारत और इजरायल के संबंध बेहद मजबूत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2017 में इजरायल के दौरे पर गए थे. किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला इजराइल दौरा था. आज भारत और इजरायल के बीच सैन्य कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है. 

DNA: ईरान-इजरायल के आसमान में महासंग्राम, मचा कोहराम; भारत को किसकी दोस्ती की ज्यादा जरूरत?
Rachit Kumar|Updated: Jun 14, 2025, 11:49 PM IST
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Iran-Israel War: इजरायल और ईरान युद्ध के दौरान भारत के रुख को लेकर लगातार चर्चा हो रही है. मन में भी सवाल होगा कि इजरायल और ईरान युद्ध में भारत किसका साथ देगा या किसकी मदद करेगा.

इजरायल और ईरान युद्ध के शुरू होते ही भारत ने कहा कि दोनों देशों को बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाना चाहिए. इस मामले में भारत ने सीधे तौर पर तटस्थ रुख अपनाया है. भारत के लिए इजरायल और ईरान दोनों ही अहम सहयोगी रहे हैं.

इजरायल ने किया था भारत का समर्थन

सबसे पहले इजरायल की चर्चा करते हैं. इजरायल ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का जबरदस्त समर्थन किया था. इजरायल ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई को सही ठहराया था. इजरायल ने कहा था कि भारत के पास आत्मरक्षा का अधिकार है.

10 साल में मजबूत हुए भारत-इजरायल के रिश्ते

बीते 10 वर्षों में भारत और इजरायल के संबंध बेहद मजबूत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2017 में इजरायल के दौरे पर गए थे. किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का यह पहला इजराइल दौरा था. आज भारत और इजरायल के बीच सैन्य कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है. 

भारत और इजरायल के बीच 2015 में केवल 47 करोड़ रुपये का सैन्य कारोबार होता था जबकि 2023 में भारत-इजरायल के बीच 2252 करोड़ रुपये का सैन्य कारोबार हुआ था. यानी 8 वर्षों में भारत और इजरायल के बीच सैन्य कारोबार 48 गुना बढ़ गया है. भारत आज इजरायल से सैन्य सहित कई अहम तकनीक लेता है.

भारत का मजबूत साझेदार बना इजरायल

अगर कूटनीतिक तौर पर देखा जाए तो पश्चिम एशिया में आज इजरायल भारत के एक मजबूत साझेदार के तौर पर उभरा है. कृषि उत्पादन में भी आधुनिक तकनीक देने में इजरायल लगातार हमारी मदद कर रहा है. इसी साल मार्च में भारत-इजरायल के बीच कृषि से जुड़े कई अहम करार हुए थे. इससे पहले छत्तीसगढ़ में कृषि उत्पादन बढ़ाने में इजरायल ने भारत की काफी मदद की थी.

ईरान से रिश्तों में रहा उतार-चढ़ाव

भारत और ईरान के रिश्ते बनते-बिगड़ते रहे हैं और कभी भी बहुत जोश नहीं देखने को मिला है. अमेरिका ने ईरान पर 2010 में प्रतिबंध लगाया था. उसके बाद भारत और ईरान के बीच कारोबार घटने लगा. भारत-ईरान से सूखे मेवे, केमिकल जैसे कुछ प्रोड्क्टस मंगवाता है. 

जबकि ईरान भारत से काफी मात्रा में बासमती चावल इंपोर्ट करता है लेकिन अब इसमें भी गिरावट आ रही है. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 में भारत के कुल बासमती चावल निर्यात में ईरान की हिस्सेदारी करीब 23 फीसदी थी जो वित्त वर्ष 2025 तक घटकर करीब आधी यानी 12 फीसदी रह गई. इससे साफ है कि भारत-ईरान के बीच कारोबार घट कर रहा है.

हालांकि भारत को ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित करने और उसके संचालन के लिए 2024 में 10 साल का अधिकार मिला है और इजरायल-ईरान युद्ध की वजह से इसपर असर हो सकता है. कूटनीतिक तौर पर ये बंदगाह भारत के लिए काफी अहम है.

इस बार भी तटस्थ रह सकता है भारत का रुख

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने तटस्थ रुख अपनाया था. इस बार भी भारत तटस्थ रुख ही अपना सकता है. अब तक आप ये समझ चुके हैं कि इजरायल और ईरान के बीच भारत की रणनीति क्या हो सकती है. अब समझिए ईरान-इजरायल युद्ध का असर आपकी जेब पर कैसे होगा क्योंकि युद्ध अगर थोड़ा ज्यादा समय तक चलता है तो इस बात की आशंका है कि इससे आपके घर का बजट बिगड़ जाएगा.

जंग का भारत पर पड़ सकता है असर

अब आप सोच रहे होंगे कि भारत से 25 सौ किलोमीटर दूर ईरान है और 4 हजार किलोमीटर दूर इजरायल है. फिर ऐसे में दिल्ली-नोएडा, पटना या वाराणसी में रहने वाले लोगों की जिंदगी पर कैसे असर हो सकता है तो इसे समझने के लिए हम आपका ध्यान अब ईरान की तरफ दिलाना चाहते हैं.

ईरान के पास पारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी है. और ईरान के बॉर्डर से सटा हुआ है स्ट्रेट ऑफ होरमुज। दरअसल स्ट्रेट ऑफ होरमुज एक तरह के समुद्री रास्ते का नाम है जैसे आपके शहर में अलग-अलग सड़कों के नाम होते हैं, वैसे ही ईरान के इस समुद्री रास्ते को स्ट्रेट ऑफ होरमुज कहा जाता है.

स्ट्रेट ऑफ होरमुज के एक तरफ ईरान का बॉर्डर है जबकि दूसरी तरफ ओमान और यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात है. ये रास्ता करीब 167 किलोमीटर लंबा है. कुछ जगह इस रास्ते की चौड़ाई केवल 39 किलोमीटर है, साथ ही ये रास्ता बेहद घुमावदार है. आप अभी मैप में इस रास्ते को देख भी रहे हैं. इसके उत्तरी हिस्से को ईरान कंट्रोल करता है जबकि दक्षिणी हिस्से को ओमान और UAE कंट्रोल करता है.

होरमुज स्ट्रेट का ऐसा है इतिहास

  • होरमुज स्ट्रेट नाम का ये समुद्री रास्ता देखने में तो एक सामान्य सा रास्ता है लेकिन इस रास्ते पर ईरान से लेकर अमेरिका तक सबकी नजर होती है.

  • इस रास्ते से पूरी दुनिया की जरूरत का 25 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई होता है.

  • रिपोर्ट्स के मुताबिक इस रास्ते से हर रोज 33 करोड 39 लाख लीटर कच्चे तेल की सप्लाई की जाती है.

  • 33 करोड़ 39 लाख लीटर कच्चे तेल से एक बार में 1300 स्वीमिंग पूल भर सकते हैं.

अमेरिकी एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक इस रास्ते से जो भी कच्चा तेल भेजा जाता है उसका 80-85 फीसदी हिस्सा भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, चीन जैसे एशियाई देशों में सप्लाई होता है. यानी सीधे तौर पर अगर इजरायल और ईरान के बीच युद्ध बढ़ता है तो इसका असर होरमुज स्ट्रेट पर होगा.

बढ़ सकते हैं पेट्रोल के दाम

 ऐसे में अलग कच्चे तेल की सप्लाई में कमी आती है तो दुनिया भर में कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे और भारत पर बड़ा असर हो सकता है. इसे एक उदाहरण से समझते हैं. 10 जून यानी मंगलवार को दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल थी. 

गुरुवार यानी 11 जून को इजरायल ने ईरान पर हमला किया. 12 जून को कच्चे तेल की कीमत बढ़कर 77 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हो गया. यानी केवल 24 घंटे में कच्चे तेल की कीमत में 18 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया. 

2022 के बाद पहली बार कीमतों में इतनी तेजी

मार्च 2022 के बाद पहली बार एक दिन में कच्चे तेल की कीमत सबसे ज्यादा बढ़ी है.सोचिए जरा अभी इजरायल-ईरान के बीच सीमित स्तर पर युद्ध शुरू हुआ है और बीते 3 वर्षों में पहली बार कच्चे तेल में इतनी बड़ी तेजी आई है. ऐसे में अगर ये युद्ध ज्यादा दिनों तक चलता है तो हालात बिगड़ सकते हैं.

युद्ध भले ही भारत से 2500 किलोमीटर दूर हो रहा है लेकिन इसका भारत पर भी असर होगा. और अगर भारत पर असर तो आपके जेब पर भी असर होगा. इसे समझने के लिए ये आंकड़े आपके लिए जानने जरूरी हैं.

कच्चे तेल के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर

भारत अपनी जरूरत का 88 फीसदी कच्चा तेल अलग-अलग देशों से इंपोर्ट करता है. होरमुज स्ट्रेट के रास्ते के एक तरफ सऊदी अरब है. भारत सऊदी अरब से 8 फीसदी (8.4) से ज्यादा क्रूड इंपोर्ट करता है. होरमुज स्ट्रेट के उत्तर में इराक है. इराक से हमारे देश में 16 फीसदी (16.26) से ज्यादा कच्चा तेल इंपोर्ट होता है. 

होरमुज स्ट्रेट से सटे संयुक्त अरब अमीरात से हमारे देश में 8 फीसदी कच्चा तेल इंपोर्ट होता है. इसके अलावा कुवैत से 2 फीसदी से ज्यादा और ओमान से करीब 1 फीसदी क्रूड इंपोर्ट करते हैं. यानी इजरायल-ईरान के बीच ज्यादा दिनों तक युद्ध होने से भारत के कम से कम 36 फीसदी क्रूड इंपोर्ट पर सीधा असर होगा.

अगर भारत सहित पूरी दुनिया के क्रूड उत्पादन और सप्लाई पर असर होता है तो भारत में क्रूड महंगा आएगा. हमारे देश में औसतन हर रोज 79 करोड़ 50 लाख लीटर कच्चे तेल का इस्तेमाल होता है. जब भी कच्चे तेल का जिक्र होता है तो सामान्य तौर पर. इसके कार-बाइक में पेट्रोल-डीजल के इस्तेमाल और इसकी कीमत के बारे में ही चर्चा होती है लेकिन क्या आपको पता है दवा, फर्टिलाइजर, पेंट, कॉस्मेटिक जैसे 100 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बनाने में कच्चे तेल का इस्तेमाल कच्चा माल यानी रॉ मेटेरियल्स के तौर पर किया जाता है. 

लंबे समय चला युद्ध तो बढ़ेंगी कीमतें

ऐसे में अगर ईरान-इजरायल के बीच युद्ध लंबे समय तक चलता है तो क्रूड की कीमत में तेज उछाल आ सकती है और फिर से इसकी कीमत 100 डॉलर तक हो सकती है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल भी महंगा हो सकता है और कई दूसरे प्रोडक्ट्स भी महंगे हो सकते हैं.

हालांकि इस आपदा में भी अवसर हैं क्योंकि ईरान-इजरायल के बीच सीमित युद्ध शुरू होते ही सोने में जोरदार तेजी आई हैं. सर्राफा बाजार में 24 कैरेट सोने की कीमत 98 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम हो चुका है. बीते 2 दिनों में सोने में 2 हजार रुपये की तेजी आई है.

MCX पर वायदा कारोबार में सोने की कीमत फिर से 1 लाख रुपये को पार कर चुका है. इससे ये संकेत मिलता है कि अगले हफ्ते आपको फिर से सोना खरीदने के लिए 1 लाख रुपये खर्च करने होंगे. लेकिन पहले से आपके पास सोना है तो उसकी कीमत और बढ़ गई है. ईरान-इजरायल के बीच युद्ध शुरू होने से चांदी में तेजी बनी हुई है.अब आपको 1 किलो चांदी खरीदने के लिए 1 लाख 6 हजार रुपये खर्च करने होंगे.

 

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