Jammu And Kashmir: जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अगुआई में उपमुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास फेयरव्यू गुपकार में एक आपातकालीन बैठक हुई. इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के सभी विधायक और गठबंधन के सहयोगी शामिल हुए. बैठक के दौरान सत्तारूढ़ गठबंधन ने केंद्र सरकार को कड़ी चेतावनी दी. उन्होंने नई दिल्ली से 'आखिरी बार' आग्रह किया कि वह जम्मू-कश्मीर में लोगों के व्यापक जनादेश को कमतर न आंके और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को बिना किसी हस्तक्षेप के काम करने दे.
मीडिया को जानकारी देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता और कांग्रेस विधायक निजामुद्दीन भट्ट ने कहा, 'आज की बैठक में संसद में पारित वक्फ बिल समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. यह बिल देश के मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ है और हम इसका विरोध करते हैं. दूसरा अहम मुद्दा जम्मू-कश्मीर की जनता द्वारा एनसी के नेतृत्व वाली सरकार को दिया गया जनादेश है. हमने एक बार फिर मांग की है कि भारत सरकार इस जनादेश का सम्मान करे, इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. विधायकों ने आज सर्वसम्मति से ये दोनों प्रस्ताव पारित किए.'
' मजबूर नहीं, जनादेश का सम्मान करें'
उन्होंने कहा कि केंद्र को हमारी चुप्पी और सहयोग को कमजोरी नहीं समझना चाहिए. उन्होंने कहा, 'हम आखिरी बार यह अपील अनुरोध के तौर पर नहीं बल्कि सख्त चेतावनी के तौर पर कर रहे हैं. हमें मजबूर न करें और उस जनादेश का सम्मान करें जिसकी प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हमेशा प्रशंसा करते रहते हैं.'
वक्फ अमेंडमेंट बिल पर क्या बोले?
उन्होंने वक्फ अमेंडमेंट बिल की निंदा की और कहा, 'वक्फ संशोधन विधेयक पर केंद्रित एक गहन चर्चा भी हुई. उन्होंने कहा कि उपस्थित लोगों में आम सहमति थी कि संशोधन जम्मू कश्मीर में 'मुसलमानों और उनकी आस्था पर सीधा हमलाट है.
वक्फ समेत कई मुद्दों पर हुई चर्चा
कांग्रेस नेता व विधायक निजाम-उद-दीन भट ने कहा कि दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि सरकार में सभी विधायक सदन के नेता के पीछे मजबूती से खड़े हैं. विधेयक वक्फ और जनादेश जैसे संवेदनशील मामलों पर, इस बात पर सर्वसम्मति है कि इन मुद्दों को केंद्र के साथ बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए.
48 जेकेएएस अधिकारियों के तबादले का विरोध
यहां यह भी उल्लेख करना उचित है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा द्वारा हाल ही में 48 जेकेएएस अधिकारियों के तबादले के राजनीतिक और प्रशासनिक निहितार्थों पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई गई थी. इसने जम्मू-कश्मीर सरकार और राजभवन के बीच एक बड़ा गतिरोध पैदा कर दिया, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लेफ्टिनेंट गवर्नर द्वारा हाल ही में 48 जम्मू और कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) अधिकारियों के तबादलों का कड़ा विरोध किया है. मुख्यमंत्री ने इन तबादलों को 'अवैध' करार देते हुए दावा किया है कि इन्हें निर्वाचित सरकार से आवश्यक मंजूरी के बिना किया गया.
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