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यहां आकर मन को मिलती है शांति... फारूक अब्दुल्ला ने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में टेका मत्था

Farooq Abdullah News: सिख धर्म के सर्वोच्च स्थलों में से एक श्री हरमंदिर साहिब में आज जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम ने हाजिरी लगाई. उन्होंने यहां मत्था टेकने के बाद कहा कि यहां आकर मन को शांति मिलती है. इस मौके पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष को सम्मानित भी किया.    

यहां आकर मन को मिलती है शांति... फारूक अब्दुल्ला ने सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में टेका मत्था
Md Amjad Shoab|Updated: Feb 25, 2025, 06:20 PM IST
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Farooq Abdullah: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला मंगलवार को अमृतसर पहुंचे और सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में मत्था टेका. इस दौरान नेशनल कान्‍फ्रेंस के अध्यक्ष  भारी सुरक्षा के घेरे में नजर आए. सचखंड श्री हरमंदिर साहिब में नतमस्तक होकर फारूक अब्दुल्ला ने वाहेगुरु का शुक्राना भी अदा किया.

सिख धर्म के सर्वोच्च स्थलों में से एक श्री हरमंदिर साहिब में पहुंचने पर फारूक अब्दुल्ला श्री गुरु अर्जन देव जी के सम्मान में काफी अभिभूत नजर आए. इस दौरान, श्री गुरु राम दास जी की समाधि के पास खड़े होकर उन्होंने वहां की अमन और मजहबी माहौल की तारीफ की. इस मौके पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला को सम्मानित भी किया.

यहां आकर मन को शांति मिलती है: फारूक अब्दुल्ला
वहीं, मीडिया से बातचीत करते हुए नेका प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह बहुत पाक जगह है, यहां आकर मन को शांति मिलती है. मैं अपने दोस्तों का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे यहां आने का मौका दिया. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां सभी धर्मों के लोग रहते हैं.

स्पेशल स्टेटस पर क्या बोले अब्दुल्ला?
उन्होंने आगे कहा कि भारत में जो सियासी आग लगी है, वह सही नहीं है. हम सभी को एकजुट होना चाहिए. जब भी भारत पर कोई संकट आता है, हम सब मिलकर उसका मुकाबला करेंगे.
जम्मू-कश्मीर को लेकर उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और सुप्रीम कोर्ट ने जो वादा किया है, वह जल्द पूरा होगा और हमारे राज्य का दर्जा वापस बहाल होगा.

अब्दुल्ला को किस बात की चिंता
जम्मू-कश्मीर को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि हर रियासत की अपनी परेशानियां होती हैं और केंद्र सरकार को उन समस्याओं को समझना चाहिए. हमारी संस्कृति, भाषा और धर्म अलग-अलग है, और केंद्र सरकार को इस विविधता को समझते हुए हमारे मुद्दों का हल निकालना चाहिए. केवल इसी तरह से हम अपनी मुश्किलों का समाधान कर सकते हैं. (आइएनएस इनपुट के साथ ) 

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