Operation Akhal: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम ज़िले के अखल जंगलों में एक बड़ा आतंकवाद-रोधी अभियान चलाया गया है, जिसका आज यानी 3 अगस्त तीसरा दिन है. जिससे यह साल के सबसे लंबे और सबसे महत्वपूर्ण आतंकवाद-रोधी अभियानों में से एक बन गया. दक्षिण कश्मीर में पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के घने अखल जंगल में यह अभियान चलाया जा रहा है. यह अभियान भारतीय सेना के पैरा कमांडो, 9आरआर, जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसओजी स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप के कमांडो और सीआरपीएफ के संयुक्त बल द्वारा चलाया जा रहा है.
अखल फॉरेस्ट एरिया में आतंकवादी समूह की मौजूदगी की विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिलने के बाद, 1 अगस्त की देर रात को यह अभियान शुरू हुआ और आज तीसरे दिन में प्रवेश कर गया. तीसरे दिन, पूरे दिन और पिछली रात भारी विस्फोटों और गोलीबारी के साथ जारी रहा. सूत्रों का कहना है कि अब तक तीन आतंकवादी मारे जा चुके हैं, लेकिन केवल एक आतंकवादी का शव मिला है और अभी तक केवल एक आतंकवादी के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि हुई है, जबकि अन्य दो आतंकवादियों के शव अभी तक नहीं मिले हैं. भारतीय सेना के तीन जवानों को मामूली चोटें आई हैं और उनका इलाज चल रहा है.
आज इस घने जंगल की निगरानी के लिए सुरक्षा बलों ने छिपे हुए आतंकवादियों की गतिविधियों और यूबीजीएल और स्वचालित असॉल्ट राइफलों, ग्रेनेड और मोटरों से निशाना बनाए गए लक्ष्यों का पता लगाने के लिए ड्रोन, यूएवी और हेलीकॉप्टर सहित उच्च तकनीक वाली निगरानी का इस्तेमाल किया.
खुफिया जानकारी के आधार पर 29 जुलाई को तलाशी अभियान शुरू किया गया था, लेकिन 1 अगस्त की देर शाम को संपर्क स्थापित हो पाया. जंगल की आड़ में छिपे आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे अभियान भीषण गोलीबारी में बदल गया. शाम तक एक आतंकवादी को मार गिराया गया, जिसकी पहचान हारिस नज़ीर डार के रूप में हुई, जो राजपुरा, पुलवामा का लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध श्रेणी-सी का आतंकवादी है और 24 जून, 2023 से सक्रिय है. उसके पास से बरामद हथियारों में एक एके-47 राइफल, एक एके मैगजीन और ग्रेनेड शामिल हैं. इससे पुष्टि हुई कि छिपा हुआ समूह लश्कर-ए-तैयबा का है.
वहीं, रात भर रुक-रुक कर और भीषण गोलीबारी के साथ अभियान जारी रहा और सूत्रों ने बताया कि दो और आतंकवादियों को मार गिराया गया, जिससे कुल संख्या तीन हो गई. लेकिन उन दोनों के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई क्योंकि कोई शव नहीं मिला. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने संकेत दिया कि इलाके में अभी भी दो या तीन और आतंकवादी छिपे हो सकते हैं, क्योंकि तलाशी दलों पर तीन दिशाओं से गोलीबारी की जा रही है.
ऑपरेशन अखल 2025 का सबसे लंबा आतंकवाद-रोधी अभियान है. ऑपरेशन अकाल पीर पंजाल के पर्वतीय क्षेत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए किया गया एक प्रयास है, जिसे पिछले चार सालों से जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है. सुरक्षा बलों के सूत्रों का कहना है कि यह कुल छह आतंकवादियों का एक समूह है. हालांकि, अभी भी छिपे हुए आतंकवादियों की सही संख्या अभी भी अनिश्चित है.
ऑपरेशन अखल जम्मू-कश्मीर में एक हफ्ते के भीतर तीसरी बड़ी मुठभेड़ है. इससे पहले 28 जुलाई को ऑपरेशन महादेव के तहत पहलगाम हमले से जुड़े तीन लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादियों को मार गिराया गया था, उसके बाद 30 जुलाई को ऑपरेशन शिवशक्ति के तहत पुंछ में नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ कर रहे दो आतंकवादियों को मार गिराया गया था.
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और 15वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) समेत वरिष्ठ अधिकारी स्थिति पर कड़ी नज़र रखते हुए घटनास्थल के बेस कैंप पर मौजूद रहे. आज ऑपरेशन अखल जारी है, और रात के लिए रोक दिया जाएगा और सुबह की पहली किरण के साथ फिर से शुरू होगा.
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