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सरकार से लेते थे सैलरी, लश्कर-हिज्बुल जैसे आतंकियों की करते थे गुलामी...तीन कर्मचारियों पर चला LG का चाबुक

Jammu And Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के साथ कथित संबंधों के लिए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया. तीनों वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.

सरकार से लेते थे सैलरी, लश्कर-हिज्बुल जैसे आतंकियों की करते थे गुलामी...तीन कर्मचारियों पर चला LG का चाबुक
Syed Khalid Hussain|Updated: Jun 03, 2025, 06:24 PM IST
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Jammu And Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के साथ कथित संबंधों के लिए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया. तीनों वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत बर्खास्त किया गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से बिना जांच के बर्खास्तगी की अनुमति देता है. उन पर सक्रिय आतंकवादी सहयोगी होने, रसद, हथियारों की तस्करी और सुरक्षा बलों और नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी अभियानों में सहायता करने जैसी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था.

बर्खास्त कर्मचारियों की पहचान इस प्रकार की गई है:-

मलिक इश्फाक: जम्मू और कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल
मलिक इश्फाक नसीर पुत्र मलिक नसीर अहमद, निवासी मलिकपोरा, अनंतनाग (जम्मू और कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल. पृष्ठभूमि: 2007 में भर्ती हुए नसीर जम्मू क्षेत्र में हथियारों की तस्करी की 2021 की जांच के दौरान संदेह के घेरे में आए. उनके भाई मलिक आसिफ एक पाकिस्तान प्रशिक्षित लश्कर आतंकवादी थे, जो 2018 में मारे गए. नसीर ने कथित तौर पर अपने पद का इस्तेमाल हथियारों, विस्फोटकों और नशीले पदार्थों के लिए सुरक्षित ड्रॉप स्थानों की पहचान करने के लिए किया और पाकिस्तान में लश्कर के संचालकों के साथ जीपीएस निर्देशांक साझा किए. उन्होंने इन खेपों को जम्मू और कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को भी वितरित किया, जिससे सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमले संभव हो सके. एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने उन्हें एक 'भेदिया और सहयोगी' बताया, जिनके कार्यों से पुलिस विभाग और राष्ट्रीय सुरक्षा को काफी नुकसान हुआ.

वसीम अहमद: हेल्थ डिपार्टमेंट
वसीम अहमद खान पुत्र लेफ्टिनेंट गुलाम मोहम्मद खान निवासी न्यू कॉलोनी, बटमालू श्रीनगर (स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में जूनियर असिस्टेंट) पृष्ठभूमि:- आधिकारिक रिपोर्टों से पता चलता है कि वह राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल था, लश्कर या हिज्ब-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के साथ सहयोग कर रहा था. अन्य लोगों की तरह, वह वर्तमान में जेल में है, और उसकी बर्खास्तगी उसी संवैधानिक प्रावधान के तहत उचित थी. आधिकारिक सूत्रों ने दावा किया कि वसीम खान उस साजिश से जुड़ा था जिसके कारण 14 जून, 2018 को पत्रकार शुजात बुखारी और उनके दो पीएसओ की आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्या की गई थी. उसे 12 अगस्त, 2018 को गिरफ्तार किया गया था, जब पुलिस बटमालू में हुए एक हमले में शामिल आतंकी सहयोगियों की जांच कर रही थी.

एजाज अहमद: टीचर
एजाज अहमद पुत्र अब्दुल रशीद शेख निवासी बुफलियाज, सुरनकोट पुंछ (स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक). पृष्ठभूमि:- 2011 में भर्ती हुए अहमद को नवंबर 2023 में पुंछ में एक नियमित पुलिस जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था, जहां उसे कथित तौर पर अपने टोयोटा फॉर्च्यूनर में हथियार, गोला-बारूद और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन की प्रचार सामग्री ले जाते हुए पकड़ा गया था. जांच से पता चला कि वह पुंछ क्षेत्र में हिज्ब-उल-मुजाहिदीन का एक भरोसेमंद आतंकवादी सहयोगी था, जो अपने हैंडलर आबिद रमजान शेख, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित हिज्ब-उल-मुजाहिदीन का एक ऑपरेटिव है, के निर्देशन में वर्षों से हथियारों की खेप प्राप्त करता और पहुंचाता था. ये खेप कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकवादियों के लिए हमले करने के लिए थी.

75 से ज़्यादा कर्मचारी बर्खास्त
ये बर्खास्तगी कथित आतंकी संबंधों वाले सरकारी कर्मचारियों पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा की जा रही व्यापक कार्रवाई का हिस्सा है. 2020 से अब तक 75 से ज़्यादा कर्मचारियों को इसी तरह के कारणों से अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत बर्खास्त किया जा चुका है. प्रशासन ने सरकारी सेवा में राष्ट्र-विरोधी तत्वों के प्रति 'शून्य सहनशीलता की नीति' अपनाई है, जिसमें ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGW) और संस्थानों में मौजूद समर्थकों को निशाना बनाया गया है.

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