जम्मू कश्मीर के 326 युवाओं ने आज दुश्मनों से देश की रक्षा करने की शपथ ली. भारतीय सेना की जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फेंट्री (जेकेएलआई) रेजिमेंट के अग्निवीरों के पांचवें बैच की पासिंग आउट परेड 5 जून, 2025 को हुई. जेकेएलआई सेंटर के बाना सिंह परेड ग्राउंड में हुई. परेड की अध्यक्षता जनरल मनीष एरी कॉर्स ने की. जेकेएलआई रेजिमेंट जो मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर के रंगरूटों से बनी एक इकाई है, जो अपने विशिष्ट इतिहास के लिए जानी जाती है, जिसमें कारगिल युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण योगदान भी शामिल है.
326 अग्निवीरों को मिली सेना में जगह
आज 31 सप्ताह का कठिन प्रशिक्षण पूरा करने के बाद 326 अग्निवीरों को शामिल किया और अब वे देश के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्र की सेवा करेंगे. परेड में सटीक अभ्यास के साथ औपचारिक मार्च-पास्ट किया गया, जिसमें अग्निवीरों के अनुशासन और प्रशिक्षण को दिखाया गया. इस कार्यक्रम में सत्यापन समारोह भी शामिल था, जहां रंगरूटों को आधिकारिक तौर पर सैनिक बनाया जाता था, अक्सर राष्ट्रगान और "बलिदानम वीर लक्षणम" जैसे रेजिमेंटल गीतों के साथ. प्रशिक्षण, शारीरिक फिटनेस और अन्य सैन्य कौशल में उत्कृष्टता के लिए उत्कृष्ट रंगरूटों को पुरस्कार प्रदान किए गए. नए रंगरूटों ने कहा कि उनका सपना सच हो गया है और अब वे जिस भी तरीके से उन्हें काम करने के लिए कहा जाएगा, देश की सेवा करेंगे.
'मैं आज बहुत खुश हूं, मेरा बचपन का सपना साकार हुआ'
रंगरूट मजीद ने कहा कि मैं खुश किस्मत हूं मुझे भारतीय सेना में जगह मिली और तन मन से देश की सेवा करेंगे. आज मेरा बचपन का सपना साकार हुआ.रंगरूटों के सैनिक बनने के इस अवसर को देखने के लिए अग्निवीरों के परिवार के सदस्य भी बड़ी संख्या में मौजूद थे. वे सभी इस बात पर गर्व महसूस कर रहे थे कि उनके बेटे अब देश के रक्षक हैं और उन्होंने कहा कि हमें गर्व है और हम चाहते हैं कि उनके बेटे पूरे समर्पण और उच्च उत्साह के साथ देश की सेवा करें.
'बेटे का शौक था सेना जाने में'
अब्दुल करीम जिनका बेटा आज सेना में शामिल हुआ उन्होंने कहा कि मेरे बेटे को बहुत शौक था सेना में जाने का. आज मैं बहुत खुश हूं. उसका सपना साकार हुआ. देश के लिए उसे जहां भी भेजा जाएगा वो जाएगा. परेड अग्निवीरों के लिए कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है, जो भारत सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ भर्ती योजना का हिस्सा हैं. इस योजना में चार साल की सेवा अवधि शामिल है, जिसके बाद चयनित रंगरूटों को सेना में बने रहने का विकल्प दिया जाता है.
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