Pahalgam Terrorist attack news : जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने पहलगाम में लोकप्रिय सेल्फी पॉइंट पर पर्यटकों से बातचीत की और उन्हें कश्मीर की खूबसूरती को देखने के लिए प्रोत्साहित किया. अब्दुल्ला ने विभिन्न राज्यों से आए पर्यटकों के साथ यादगार पलों को कैद करने का अवसर लिया और उन्हें आश्वस्त किया कि घाटी में स्थिति में काफी सुधार हुआ है और चिंता की कोई बात नहीं है.
पर्यटकों के साथ गर्मजोशी से बातचीत ने न केवल उनका उत्साह बढ़ाया, बल्कि कश्मीरी लोगों की दृढ़ता की याद भी दिलाई. कई पर्यटकों ने इस गंतव्य का आनंद लिया और दूसरों से बिना किसी डर के यहां आने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, यहां सब कुछ सुरक्षित है. उन्होंने जोर दिया कि जो लोग अपनी यात्रा की योजना रद्द कर रहे हैं, उन्हें पुनर्विचार करना चाहिए और कश्मीर के आकर्षण का अनुभव करना चाहिए.
आदिल हुसैन शाह के परिवार से मिले अबदुल्ला
सैलानियों के साथ बातचीत के अलावा, डॉ. अब्दुल्ला ने स्थानीय नायक सैयद आदिल हुसैन शाह के परिवार से भी मुलाकात की, जिन्होंने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए खौफनाक आतंकवादी हमले के दौरान पर्यटकों को बचाते हुए अपनी जान गंवा दी थी. गौरतलब है कि पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे. इस यात्रा के दौरान, उन्होंने पहलगाम के विधान सभा सदस्य (एमएलए) अल्ताफ कालू की ओर से एक महीने का वेतन आदिल के पिता हैदर शाह को भेंट किया. हैदर शाह ने डॉ. अब्दुल्ला और अन्य नेताओं को उनकी संवेदना समझने के लिए धन्यवाद किया.
हम ही दरिया...
संवाददाताओं को संबोधित करते हुए, डॉ. अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि के बारे में भी चिंता जताई, जिसमें क्षेत्र के प्रचुर जल संसाधनों के बावजूद जम्मू में चल रहे जल संकट पर प्रकाश डाला गया. उन्होंने कहा, 'हम लंबे समय से सिंधु जल संधि की समीक्षा की वकालत कर रहे हैं. इस संधि के कारण जम्मू को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. हम पाकिस्तान में पानी के प्रवाह को रोकना नहीं चाहते हैं; हम बस अपना उचित हिस्सा चाहते हैं.'
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, जहां तक यह सिंधु जल संधि है, हम कब से कह रहे हैं कि इस संधि को फिर से देखना पड़ेगा. हम खुद इससे मुसीबत में हैं और महरूम होते हैं. हमारा दरिया और हम ही महरूम... हम नहीं कहते कि उनका पानी बंद करें लेकिन हम कहते हैं कि हमारा भी तो हक है.'
फारुख अबदुल्ला का दर्द छलका...
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने आतंकी हमले में अपनी जान गंवाई, मैं उस दुल्हन से कहना चाहता हूं जिसकी शादी छह दिन पहले हुई थी, उस बच्चे से जिसने अपने पिता को खून से लथपथ देखा, कि हम भी रोए थे. हमने भी खाना नहीं खाया। ऐसे राक्षस अभी भी मौजूद हैं जो मानवता की हत्या करते हैं. वे इंसान नहीं हैं. वे खुद को मुसलमान कहते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि वे मुसलमान नहीं हैं.
मैं उन सभी परिवारों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएंगे. सभी का बदला लिया जाएगा. अब घड़ा भर गया है. आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत है. हम इसे 35 साल से देख रहे हैं.
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