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नोटों की गड्डियों का मामला! जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सरकार लेने जा रही बड़ा फैसला

Impeachment Motion Justice Verma: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू हो गई है. संसद के दोनों में से किसी भी सदन में यह प्रस्ताव लाया जा सकता है. इसके जरिए ही हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस को हटाने की प्रक्रिया है. 

नोटों की गड्डियों का मामला! जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सरकार लेने जा रही बड़ा फैसला
Anurag Mishra|Updated: Jun 03, 2025, 09:38 PM IST
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संसद के आगामी मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ बड़ा कदम उठाने जा रही है. भारत सरकार के सूत्रों ने जानकारी दी है कि वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा. सूत्रों के अनुसार संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस मामले को लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से चर्चा करेंगे. यह कदम मार्च में दिल्ली स्थित जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने की घटना के मामले में उठाया गया है, जब बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी. 

नोटों की गड्डियां मिली थीं

घटना मार्च की है, जब दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास के बाहरी हिस्से में आग लग गई थी. नोटों की गड्डियों के बारे में खुलासा आग बुझाने के लिए पहुंचे अग्निशमन दल ने किया था. इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ था. इसके बाद न्यायमूर्ति वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. उन्होंने आरोपों से इनकार किया और उसे साजिश बताया था.

15 जुलाई के बाद शुरू होने वाल मॉनसून सत्र में अब महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. खबर यह भी है सरकार इंतजार कर रही है कि जस्टिस वर्मा खुद इस्तीफा दे दें. 

इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को एक आंतरिक जांच शुरू की थी और न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए हाई कोर्ट के तीन न्यायाधीशों का पैनल भी बनाया था. 

सुप्रीम कोर्ट की ओर से पूर्व में जारी एक बयान में कहा गया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने दिल्ली उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीएस संधवालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं.

बयान के अनुसार, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपने के लिए कहा गया था. अप्रैल में जस्टिस वर्मा इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज के रूप में शपथ लिए लेकिन उन्हें कोई काम नहीं सौंपा गया.

रिपोर्ट के मुताबिक जांच कमेटी ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों को सही पाया. तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने मई के पहले हफ्ते में पीएम और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर महाभियोग प्रस्ताव की सिफारिश की थी. हालांकि इसे सार्वजनिक नहीं किया गया. (आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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