Kangana Ranaut slams Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भारतीय सेना और भारत-चीन सीमा विवाद पर दिए गए बयान पर सुप्रीम ने गहरी नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही राहुल गांधी के बयान पर कड़ी फटकार लगाई तो बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने मौका पाकर उनपर जमकर हमला बोला दिया. कंगना ने राहुल गांधी पर 'देश विरोधी सोच' रखने और 'दुश्मन देशों का साथ देने' का भी आरोप लगाया है. आइए जानते हैं, पूरा मामला क्या है और कंगना ने क्या-क्या कहा.
राहुल गांधी हमेशा देश के खिलाफ बोलते हैं
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंगना रनौत ने कहा कि राहुल गांधी हमेशा भारत के खिलाफ बोलते हैं, चाहे अर्थव्यवस्था हो या रक्षा बल. वह दुश्मन देशों के समर्थन में बोलते हैं. उनकी मानसिकता भारत विरोधी है. कंगना ने आगे यह भी कहा कि इसलिए, सुप्रीम कोर्ट का यह एक स्वागत योग्य कदम है; उन्होंने उनकी खिंचाई की है. भविष्य में, दूसरों को ध्यान रखना चाहिए कि वे भारत के सम्मान, अखंडता और मनोबल को ठेस न पहुंचाएं.
राहुल गांधी ने कौन सा दिया था बयान
राहुल गांधी ने 16 दिसंबर 2022 को अपनी 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, "चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया, 20 सैनिकों को मारा और अरुणाचल में हमारे सैनिकों को पीटा. लेकिन भारतीय मीडिया इस पर सवाल नहीं उठाता." इस बयान को सुप्रीम कोर्ट ने गैर-जिम्मेदाराना बताया और राहुल को फटकार लगाई.
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई फटकार?
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने राहुल के बयान पर सवाल उठाए. कोर्ट ने पूछा, "आपको कैसे पता कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया? आपके पास क्या सबूत है? अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो सीमा पर तनाव के समय ऐसा नहीं कहेंगे." कोर्ट ने यह भी कहा कि राहुल ने ये बातें संसद में उठाने की बजाय सोशल मीडिया पर क्यों कही? कोर्ट का मानना था कि ऐसे बयान देश का मनोबल तोड़ सकते हैं.
कंगना रनौत ने फिर क्या बोला हमला?
सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से कंगना रनौत गदगद हो गईं. उन्होंने राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला और कहा, "यह बहुत अच्छा फैसला है. सुप्रीम कोर्ट ने राहुल को सही सबक सिखाया. इससे बाकी लोग भी सतर्क होंगे कि देश की इज्जत, एकता और मनोबल को ठेस न पहुंचाएं." कंगना ने आगे कहा, "राहुल गांधी को समझना चाहिए कि देश का सम्मान सबसे ऊपर है. उनकी ऐसी बयानबाजी से भारत की छवि को नुकसान पहुंचता है. सुप्रीम कोर्ट का यह कदम एक चेतावनी है कि कोई भी नेता ऐसा कुछ नहीं कहे जो देश के हित के खिलाफ हो."
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