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FAQ: कांवड़ यात्रा रूट को लेकर 'सुप्रीम' फैसला, 10 अहम बातें जो आपको जाननी ही चाहिए

Supreme Court: सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि ये कावंड़ियों की धार्मिक भावना से जुड़ा मामला है. इस देश के बहुत से लोग ऐसे है जो अपने भाई के घर भी नहीं खाएंगे, अगर वहां मांसाहारी भोजन परोसा जाता हो.

FAQ: कांवड़ यात्रा रूट को लेकर 'सुप्रीम' फैसला, 10 अहम बातें जो आपको जाननी ही चाहिए
Shwetank Ratnamber|Updated: Jul 22, 2025, 05:36 PM IST
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Kanwar Yatra route QR code: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड में  कावंड़ यात्रा रूट पर दुकानों के बाहर क्यूआर कोड लगाने को लेकर जारी निर्देश पर कोई दखल देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कांवड़ यात्रा खत्म होने वाली है, वो इस स्टेज पर इन निर्देशों की वैधानिकता पर कोई आदेश नहीं देगा. हालांकि  कोर्ट ने  साफ किया कि मौजूदा नियमों के मुताबिक कावंड़ रूट पर मौजूद सभी होटल और रेस्टोरेंट लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को प्रदर्शित करेंगे. 

FAQ

सवाल- कांवड़ यात्रा क्यूआर कोड विवाद क्या है?
जवाब- 
विवाद वेज और नॉन-वेज खाने के साथ दुकानदार की धार्मिक पहचान से जुड़ा है.

सवाल- सुप्रीम कोर्ट ने आज क्या एकदम साफ कर दिया?
जवाब- 
मौजूदा नियमों के मुताबिक कावंड़ रूट पर मौजूद सभी होटल और रेस्टोरेंट लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को प्रदर्शित करेंगे.

सवाल- मुस्लिम संगठनों ने लगाई या किसने लगाई कोर्ट में याचिका?
जवाब-
सुप्रीम कोर्ट में DU प्रोफेसर अपूर्वानंद और सामाजिक कार्यकर्ता आकार पटेल ने याचिका लगाई. जिसमें QR कोड को लेकर UP-UK सरकार की ओर से जारी निर्देश पर रोक की मांग की. उन्होंने कहा, 'QR कोड लगाने का मकसद दुकानदारों की धार्मिक आधार पर पहचान का खुलासा करना है. 

सवाल- धार्मिक पहचान छिपाकर सामान बेचने वालों पर क्या आरोप लगते हैं?
जवाब-
धार्मिक पहचान छिपाकर सामान बेचने के मामलों में अक्सर देखा गया है कि बोर्ड में यादव ढाबा या भगवान के नाम से होटल संचालित हो रहा होता है, जबकि उसके मालिक किसी अन्य धर्म के होते हैं. जिस हिसाब से बीते दो सालों में खाने-पीने की चीजों में रोटी से लेकर दूध तक थूक और जूस में पेशाब मिलाकर पिलाने के मामले सामने आये हैं, उनका हवाला देकर लोगों का मानना है कि खाने पीने के सामान की दुकानों पर पहचान बताकर सामान बेचने से उनके सामान में शुद्धता और शुचिता की संभावना बढ़ जाती है. 

सवाल- यूपी सरकार पर इस याचिका में क्या आरोप लगाए गए हैं?
जवाब- याचिकाकर्ताओं के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कावड़ियों को उनकी धार्मिक मान्यता के हिसाब से खाना मिलना चाहिए पर खाने की क्वालिटी का दुकान के मालिक के नाम से नहीं बल्कि मेन्यू से संबंध होता है. मेन्यू कार्ड से कोई भी कावड़िया देख सकता है कि ढाबे में मिलने वाला खाना शाकाहारी है या नहीं. 

सवाल- सुनवाई के दौरान कोर्टरूम LIVE में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जवाब- सुप्रीम कोर्ट ने  कहा कि कावंड़ियों को अपनी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक रेस्टोरेंट चुनने का हक है. बहुत से लोग ऐसे  रेस्टोरेंट में जाने से इंकार कर सकते है जहाँ शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन मिलता है.

सवाल- याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हुजेफा अहमदी ने क्या दलील दी?
जवाब-
वकील हुजेफा अहमदी ने कहा, अगर नॉनवेज खाना बेचने वाले ये कह रहे हैं कि वो सावन में कांवड़ यात्रा के दौरान नॉनवेज नहीं पकाते बस वेज पकाते हैं और वेज ही सर्व करते हैं तो उनकी बातों पर भरोसा कर लेना चाहिए.

सवाल- वकील हुजेफा अहमदी की दलील पर जज साहब ने क्या कहा?
जवाब- 
जस्टिस सुंदरेश ने कहा, 'ऐसी सूरत में कावंड़ियों को ये पता होना चाहिए कि जिस रेस्टोरेंट में वो खाना खा रहे है, वो क्या साल भर शुद्ध शाकाहारी खाना परोस रहा है या नहीं. अगर कोई होटल साल भर सिर्फ वेज परोसता है तो कोई दिक्कत नहीं है. इस स्थित में नाम उजागर करने का सवाल नहीं उठेगा. लेकिन अगर कोई होटल सिर्फ कावंड़ यात्रा के दौरान नॉनवेज छोड़कर शाकाहारी परोस रहा है तो ग्राहकों को इसकी जानकारी होनी चाहिए. कुछ तरीका होना चाहिए जिससे उनको यह पता लगे कि इस जगह कांवड़ यात्रा जो हर साल सावन माह की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होती है और पवित्र सावन माह की शिवरात्रि तिथि तक चलती है उतने दिन नॉनवेज नहीं बनता. 

सवाल- यूपी सरकार की दलील क्या है?
जवाब- यूपी सरकार की दलील है कि बहुत से लोग धार्मिक मान्यताओं के लिहाज से प्याज, लहसुन से भी परहेज करते है. नवरात्रि और अन्य कई धार्मिक व्रत और उत्सवों में लहसुन-प्याज नहीं पड़ता. यूपी सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि यह कावंड़ियों की धार्मिक भावना से जुड़ा मामला है. इस देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने भाई के घर भी नहीं खाएंगे, अगर वहां मांसाहारी भोजन परोसा जाता हो'.

सवाल- क्यों हुआ फैसला?
जवाब- 
यूपी सरकार मानती है कि उसका आदेश FSSAI जैसे कानून के मुताबिक है. कांवड़ रूट पर कई रेस्टोरेंट ऐसे मिले, जो मांसाहारी खाद्य पदार्थ बेचते थे, लेकिन दावा करते थे कि केवल शाकाहारी बेचते हैं, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हुईं और विवाद की स्थितियां बनीं.

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