Deputy CM DK Shivakumar: कर्नाटक में बीते काफी समय से कुछ ऐसा पक रहा है, जिसकी 'महक' अब आने लगी है. मुख्यमंत्री पद से सिद्धारमैया की विदाई और डीके शिवकुमार की ताजपोशी की मांग तेज है. सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने आज दिल्ली में पार्टी मुखिया मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता विपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है. बेंगलुरू में मची भगदड़ से पार्टी की किरकिरी के बाद दिग्गजों के साथ इस मुलाकात को राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की आहट से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि अभी ऐसा कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन पार्टी में जो कुछ चल रहा उससे अटकलें तेज हैं. एक बड़ी वजह जाति जनगणना भी है, जो यहां कांग्रेस काफी वक्त से कराना चाह रही है.
2023 में ही तय थी डीके की वापसी
कर्नाटक में वैसे भी 2023 में कांग्रेस के चुनाव जीतने पर सीएम की कुर्सी को लेकर कयास लगते रहे. काफी मंथन के बाद, जैसे मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य पर कमलनाथ और राजस्थान में सचिन पायलट पर गहलोत के अनुभव को तरजीह दी गई, उसी तर्ज पर कर्नाटक में भी डीके शिवकुमार की बजाए सिद्धारमैया पर हाईकमान ने ज्यादा भरोसा जताया था. हालांकि कर्नाटक में मामला थोड़ा अलग रहा. राज्य में सिद्धारमैया का 'राजतिलक' करने से पहले ही अगले 5 सालों का रोडमैप बना लिया गया था. बताया जाता है ताजपोशी से पहले ही तय हो गया था कि कुछ समय बाद डीके शिवकुमार को सीएम की कुर्सी पर काबिज कराया जाएगा. हालांकि ये सब आपसी रजामंदी से था, औपचारिक रूप से नहीं.
पावर शेयरिंग के फ़ॉर्मूले पर चली सरकार
बताया जाता है कि सिद्धारमैया की ताजपोशी के वक्त ही 50:50 का फॉर्मूला निकाला गया था. इसमें कुर्सी से लेकर पावर शेयरिंग तक शामिल था. ढाई साल बाद परिवर्तन उसी समय तय था, लेकिन बेंगलुरू में मची भगदड़ ने शायद वक्त से पहले इसे हवा दे दी है. लोकसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन भी उम्मीद के मुताबिक नहीं आया. सिद्धारमैया के टिके रहने के लिए लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन जरूरी था, लेकिन वे यहां भी चूक गए. 2019 के मुकाबले 2024 में कांग्रेस ने 'ग्रोथ' तो की, लेकिन दरकार उससे ज्यादा की थी. कुल 28 में से पार्टी को कम से कम 14 सीटों पर जीत की उम्मीद थी, लेकिन विजय मिली सिर्फ 9 सीटों पर.
बेंगलुरू में भगदड़ कहीं जल्दी चेहरा बदलने की वजह न बना जाए
राज्य में जो हालिया घटनाक्रम हुए हैं, उसके बाद दिल्ली में मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. सबसे ताजा मामला आईपीएल ट्रॉफी जीतने के बाद बेंगलुरू में आरसीबी के कार्यक्रम के दौरान भगदड़ में 11 लागों की मौत का है. इससे राज्य सरकार की अच्छी खासी फजीहत हुई. हालांकि राज्य सरकार ने फौरन डैमेज कंट्रोल करते हुए पुलिस महकमे के बड़े-बड़े अफसरों को सस्पेंड कर दिया. लेकिन फिर भी विपक्ष इस मामले में सिद्धारमैया के पीछे पड़ा रहा. शायद आलाकमान को भी ये समय राज्य में 'चेहरा' बदलने के लिए मुफीद लग रहा हो.
डीके हैं कांग्रेस के संकटमोचक
डीके शिवकुमार वैसे भी कांग्रेस के लिए बीते कुछ समय में बेहतरीन प्रबंधन के हुनर के चलते हर संकट के वक्त बड़े काम आते रहे हैं. कर्नाटक ही नहीं, बल्कि कई बार वे दिल्ली में या किसी भी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में शुमार होते रहे हैं. उनके लिए एक और बड़ी बात प्लस प्वाइंट साबित होती है जो है उनकी जाति वोक्कालिगा. इस समुदाय पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है.
#WATCH | Delhi | Congress General Secretary KC Venugopal says, "Rahul ji, CM of Karnataka, PCC chief of Karnataka and state in-charge met today. The issue related to the caste census report to be taken up in a special cabinet meeting in Karnataka on 12th June was discussed.… pic.twitter.com/5qVq1VQM8Z
— ANI (@ANI) June 10, 2025
जाति जनगणना भी है बड़ी वजह
इसके अलावा एक बड़ा और बेहद संवेदनशील मसला कर्नाटक में जाति जनगणना का भी रहा है. माना जा रहा कि दिल्ली में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ हुई इस मुलाकात का एजेंडा जाति जनगणना का भी रहा है. मुलाकात में जाति जनगणना शुरू करने में आने वाली मुश्किलों और उसके राजनीतिक नफे-नुकसान पर भी मंथन किया गया है. मोदी सरकार को घेरने में कांग्रेस जाति जनगणना को अपने लिए एक प्रमुख अस्त्र के रूप में मानती है. गरीब-मजलूमों की बात कर पार्टी राज्य में अपना वोट बैंक और दबदबा बनाए रखना चाहती है.
आज दिल्ली में हुई इस मुलाकात पर सभी की नजरें हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस मुलाकात के बाद सिद्धारमैया खेमे के लिए Bad News और डीके शिवकुमार के समर्थकों के लिए Good News आएगी.