trendingNow12820899
Hindi News >>देश
Advertisement

बंदरों की नसबंदी की तैयारी...बढ़ती आबादी से परेशान इस राज्य ने लिया बड़ा फैसला

Monkey Menace: बंदरों के आतंक से कई राज्य सरकारें परेशान हैं. धर्मस्थलों वाले शहरों जैसे मथुरा-अयोध्या से लेकर प्रयागराज तक तो बंदरों की दहशत इस कदर है कि कई बार लोगों को जान तक गंवानी पड़ती है. 

Bonnet macaque Birth Control
Bonnet macaque Birth Control
Amrish Kumar Trivedi|Updated: Jun 30, 2025, 08:43 AM IST
Share

Monkey Menace in Kerala: यूपी-उत्तराखंड से लेकर बिहार तक धार्मिक स्थल वाले शहरों में बंदरों का आतंक है, लेकिन कुछ दक्षिण भारत के राज्य भी इससे परेशान हैं. बंदरों के आतंक से परेशान केरल ने तो बड़ा फैसला लिया है और उनकी नसबंदी की तैयारी है.बंदरों की आबादी काबू करने के लिए य़े कदम उठाया गया है. केरल के वन विभाग ने केंद्र के वन-पर्यावरण मंत्रालय से इसकी इजाजत मांगी है. 

 घने पेड़ों से घिरे जंगलों वाले केरल राज्य में किसानों और ग्रामीणों का कहना है कि बंदरों की फौज के कारण उनकी फसलें तबाह हो रही हैं. नारियल से लेकर आम फसलों को नुकसान हो रहा है. बंदरों की दहशत से पर्यटक भी तमाम टूरिस्ट प्लेस तक जाने से घबराते हैं. ऐसे में स्थानीय कारोबारी और दुकानदार भी परेशान हैं.  

केरल सरकार इससे पहले जंगली सुअर, टाइगर हाथियों को भी मारने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मांग चुकी है, क्योंकि ये जीव वन्यजीव अधिनियम (Wildlife Protection Act) के तहत संरक्षित सूची में आते हैं. केरल सरकार का कहना है कि जंगली सुअरों के बाद बंदरों की आबादी बेकाबू हो चुकी है.लिहाजा मिशन बोनट मैक्यू (Mission Bonnet macaque) चलाने का निर्णय हुआ है. 

जंगली सुअरों को तो केरल में बड़े पैमाने पर मारने का फैसला हुआ था. लेकिन बंदरों को लेकर धार्मिक संवेदनशीलता को देखते हुए दूसरा विकल्प आजमाया जाएगा. ऐसे में कुछ खास स्थानों पर बंदरों की नसबंदी कराई . उन्हें कुछ समय तक निगरानी में रखा जाएगा. उन्हें फिर खुले में छोड़ा जाएगा. पर्यटकों द्वारा बंदरों को खुले में खाना खिलाने से रोकने के लिए जुर्माना लगाया जाएगा.

इस प्रजाति के बंदर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु-गुजरात जैसे राज्यों में पाए जाते हैं. हालांकि वन्यजीवों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय संगठन  IUCN का कहना है कि कुछ इलाकों इन बंदरों की आबादी 65 फीसदी तक घटी है. ऐसे में केंद्र से केरल सरकार को ऐसी मंजूरी मिलेगी, ये बड़ा सवाल है.

केरल सरकार ने जून में केंद्र से इजाजत मांगी थी कि वो उस आदमखोर टाइगर-तेंदुओं, पागल हो चुके हाथी और बंदरों को मारने की इजाजत दे. केरल सरकार के मुताबिक, राज्य के 941 में से 273 गांवों में इन जानवरों का आतंक है. केरल में 2016-17 से 31 जनवरी 2025 तक 919 लोगों की मौत ऐसे जानवरों के हमलों से हुई है. जबकि करीब 10 हजार लोग घायल हुए हैं. हालांकि पशु अधिकार संगठनों का कहना है कि जंगली इलाका लगातार कम होने, उनके रहने की जगहों और पेड़ों की कटान जैसी वजहों से ये जानवर आबादी वाले इलाकों की ओर आते हैं. लिहाजा उनके संरक्षण की जरूरत है.

Read More
{}{}