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अपने तो लौटेंगे नहीं लेकिन आतंक पीड़ितों के जख्मों पर लगेगा मरहम, कश्मीर में LG का बड़ा फैसला

Jammu And Kashmir: जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले के पीड़ितों के परिवारों की सहायता के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने इनके लिए एक वेब पोर्टल लॉन्च किया है. इसका मकसद पीड़ित परिवारों को राहत देना है.

अपने तो लौटेंगे नहीं लेकिन आतंक पीड़ितों के जख्मों पर लगेगा मरहम, कश्मीर में LG का बड़ा फैसला
Syed Khalid Hussain|Updated: Jul 22, 2025, 04:44 PM IST
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Jammu And Kashmir: जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले के पीड़ितों के परिवारों की सहायता के लिए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने वेब पोर्टल लॉन्च किया है. गृह विभाग और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के सहयोग से विकसित इस पोर्टल का मकसद परिवारों को राहत और पुनर्वास लाभों तक पहुंच प्रदान करना है.  इससे पीड़ितों के परिजनों को अनुग्रह राशि, एसआरओ-43 (निकटतम परिजनों के लिए रोज़गार के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की एक योजना) के तहत पीड़ित परिवारों को अनुकंपा नियुक्ति और अन्य वित्तीय या प्रशासनिक सहायता के लिए आवेदन करने की सुविधा मिलेगा.

पीड़ित आवेदन जमा करने के अलावा जरूरी दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं और वास्तविक समय में अपने मामलों की स्थिति पर नज़र रख सकते हैं, जिससे कागजी कार्रवाई और नौकरशाही संबंधी बाधाएं कम हो जाएगी. वेब पोर्टल दावों के प्रोसेसिंग में पारदर्शिता और गति सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह परिवारों द्वारा लंबे वक्त से सामना की जा रही समस्याओं, जैसे राहत वितरण में देरी या स्पष्ट संचार की कमी, का समाधान करता है. पोर्टल का डिजिटल बुनियादी ढांचा विभागों के बीच निर्बाध समन्वय को सक्षम बनाता है, जिससे मामलों का तेज़ी से समाधान सुनिश्चित होता है. उपराज्यपाल सिन्हा समय पर निवारण सुनिश्चित करने के लिए मामलों की प्रगति की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगे.

यह पोर्टल पीड़ितों के परिवारों को प्रोवाइड स्ट्रक्चर्ड सपोर्ट करने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है, जो तत्काल वित्तीय ज़रूरतों और दीर्घकालिक पुनर्वास, जैसे कि निकटतम रिश्तेदारों के लिए नौकरी के अवसरों, दोनों को संबोधित करता है. यह केंद्र शासित प्रदेश भर के पात्र परिवारों के लिए सुलभ है.

गाइड्स की सुविधा

इस प्लेटफ़ॉर्म का प्रबंधन गृह विभाग या एनआईसी द्वारा किया जाता है, जिसमें आवेदकों की सहायता के लिए उपयोगकर्ता गाइड्स मौजूद हैं. इससे पहले, 1 जुलाई को, उपराज्यपाल सिन्हा ने एक हाई लेवल मीटिंग की अध्यक्षता की, जिसमें अधिकारियों को उन मामलों को फिर से खोलने का निर्देश दिया गया था जिन्हें जानबूझकर दबा दिया गया था. इनमें वे मामले भी शामिल थे, जिनमें एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी या जिन्हें "अज्ञात" के रूप में चिह्नित किया गया था.

हाई लेवल कमेटी का गठन 

 ऐसे मामलों की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया गया था, इसके अलावा प्रशासन आतंकवाद पीड़ितों की उन संपत्तियों की पहचान और पुनर्स्थापना कर रहा है, जिन पर आतंकवादियों या उनके समर्थकों ने अतिक्रमण किया था. शिकायतों को दर्ज करने के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन और जिला-स्तरीय हेल्पलाइन स्थापित की गई हैं.

 जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित परिवारों को इंसाफ

यह पोर्टल और इससे जुड़े उपाय सिन्हा के पहले के प्रयासों पर आधारित हैं, जैसे कि आतंकवाद पीड़ितों के परिवारों को पहले दी गई 40 नौकरियों की नियुक्तियां और यह जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित परिवारों को न्याय, आर्थिक स्थिरता और सम्मान प्रदान करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं.

FAQs

सवाल: मनोज सिन्हा जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल कब बने हैं?
जवाब: मनोज सिन्हा ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल का पद 7 अगस्त 2020 ग्रहण को किया है.

जम्मू कश्मीर ( केंद्रशासित प्रदेश ) के पहले राज्यपाल कौन थे?
जवाब: कर्ण सिंह जम्मू कश्मीर के पहले राज्यपाल थे. उन्होंने 28 मार्च, 1965 को जम्मू-कश्मीर के पहले राज्यपाल के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी.

सवाल: मनोज सिन्हा के बारे में
जवाब: मनोज सिन्हा जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल बनने से पहले कई अहम पदों पर जिम्मेदारी संभाली है. वे भारत सरकार में रेलवे मंत्रालय के राज्यमंत्री और संचार मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के पद रहे हैं. इसके अलावा वे 16वीं लोक सभा के सदस्य भी रहे हैं.

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