मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में लव जिहाद कानून की जरूरत को एक बार फिर से दोहराया है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ इक्का-दुक्का मामले नहीं हैं, बल्कि अब तक एक लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं. दूसरी मध्य प्रदेश में के सीएम ने भी महिलाओं के धर्म परिवर्तन करने वालों को सजा-ए-मौत देने का कानून लाने की बात कही है.
महिला दिवस के मौके पर महिला पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा का कि विधानसभा के मौजूदा सत्र में भाजपा के दो विधायकों ने लव जिहाद को लेकर एक निजी विधेयक पेश किया है. लव जिहाद शब्द का इस्तेमाल उन मामलों के लिए किया जाता है, जहां आरोप लगाया जाता है कि मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को झूठी पहचान के जरिये शादी के लिए बहलाते हैं.
फडणवीस ने कहा कि पहले यह मामले इक्का-दुक्का लगते थे, लेकिन अब इसमें एक पैटर्न नजर आता है, जो एक खास मानसिकता को दर्शाता है. सरकार ने फरवरी में एक समिति बनाई गई थी, जो लव जिहाद से जुड़े कानूनों का अध्ययन कर रही है. उन्होंने कहा कि समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद सरकार आगे की कार्रवाई पर विचार करेगी.
इस मौके पर फडणवीस ने अपनी बेटी को लेकर कहा कि उन्हें गर्व है कि उनकी एक ही संतान, एक बेटी है. उन्होंने बताया कि उन्होंने कभी भी बेटे की इच्छा नहीं की और समाज से इस तरह का कोई दबाव महसूस नहीं किया. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बेटी पर फख्र है और उन्हें लगता है कि बेटियां माता-पिता की ज्यादा देखभाल करती हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बेटी राजनीति में नहीं आएगी, क्योंकि वह वकील बनना चाहती है.
दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि उनकी सरकार 'लव जिहाद और जबरन धर्म परिवर्तन' करने वालों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान करने के लिए कानून में बदलाव करेगी. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर भोपाल में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जैसे नाबालिग लड़कियों के साथ दुष्कर्म पर फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है, वैसे ही अब लव जिहाद और जबरन धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए भी यह सजा दी जाएगी. यह संशोधन मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में किया जाएगा.
10 मार्च से मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है और सरकार 'धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021' में संशोधन कर मौत की सजा का प्रावधान जोड़ने की योजना बना रही है. अगर ऐसा होता है तो मध्य प्रदेश ऐसा करने वाला पहला राज्य बन जाएगा. हालांकि, जब यह खबर चर्चा में आई तो मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने एक स्पष्टीकरण जारी किया. इसमें कहा गया कि राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम पहले से लागू है, जो जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन और शादी कराने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुमति देता है.
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