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5 साल पहले दीवाली पर स्पेन में बेटे को भेजी थी मिठाई, नहीं पहुंचने पर कूरियर कंपनी को ठोंका हजारों का जुर्माना

Bhopal News: मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले एक परिवार ने स्पेन में रह रहे अपने बेटे के लिए मिठाई भेजी थी. जो कि कुरियर कंपनी नहीं पहुंचा पाई. इसके बाद मध्य प्रदेश कंज्यूमर कोर्ट ने कूरियर कंपनी पर 23 हजार रुपए का जुर्माना ठोंका है.   

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कूरियर कंपनी को ठोंका हजारों का जुर्माना
कूरियर कंपनी को ठोंका हजारों का जुर्माना
Manish kushawah|Updated: Jun 01, 2025, 07:22 PM IST
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MP Consumer Court News: भोपाल के एक परिवार ने स्पेन में रह रहे अपने बेटे को दिवाली के मौके पर मिठाई और सूखे मेवे भेजे थे, लेकिन यह पार्सल मंजिल तक नहीं पहुंच पाया. तो इस बात से आहत पिता ने कूरियर कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई. पांच साल लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार आयोग ने फैसला सुनाया और कूरियर कंपनी को गलती का जिम्मेदार ठहराते हुए 23 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया.

भोपाल की होशंगाबाद रोड स्थित सुरेंद्र गार्डन में रहने वाले रवि श्रीवास्तव ने अक्टूबर 2019 में डीटीडीसी एक्सप्रेस और फेडरल एक्सप्रेस एंड सप्लाई चेन के खिलाफ परिवाद दर्ज कराया था. उन्होंने 21 अक्टूबर को अपने बेटे को स्पेन के बार्सिलोना में मिठाई, नमकीन और सूखे मेवे का एक पांच किलो का पैकेट भेजा था, जो उनकी पत्नी ने खास तौर पर दिवाली के लिए तैयार किया था. लेकिन 12 दिन बीत जाने के बाद भी जब पार्सल नहीं पहुंचा, तो उन्होंने कंपनी से संपर्क किया.

कंपनी ने ईमेल से बताया कारण
पूछताछ करने पर रवि श्रीवास्तव को बताया गया कि उनका पार्सल दिल्ली लौटा दिया गया है. बाद में एक ईमेल में यह भी जानकारी दी गई कि स्पेन में खाद्य सामग्री भेजना प्रतिबंधित है, इसलिए पार्सल डिलीवर नहीं किया जा सका. श्रीवास्तव का कहना था कि कूरियर कंपनी को इस नियम की पहले से जानकारी थी, फिर भी उन्हें इस बारे में बताया नहीं गया. उन्होंने यह भी कहा कि पैकिंग खुद कूरियर स्टाफ ने की थी और कुल खर्च 6,400 रुपये आया, जबकि सामान की कीमत करीब 4,000 रुपये थी.

उपभोक्ता ने सहमति दी थी
कंपनी की ओर से कहा गया कि उन्होंने कोई तथ्य नहीं छिपाया और उपभोक्ता से कंसाइनमेंट फॉर्म भरवाया गया था, जिसमें जोखिम की जानकारी और सहमति ली गई थी. उनका यह भी कहना था कि पार्सल कस्टम क्लियरेंस न मिलने के कारण रोका गया और उन्हें इसकी जानकारी प्रक्रिया के अनुसार दी गई थी.

आयोग ने सुनाया था फैसला
राज्य उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष गिरिबाला सिंह और सदस्य प्रीति मुद्गल की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि कूरियर कंपनी ने एक माता-पिता की भावनाओं की अनदेखी की. आयोग ने कंपनी को दो महीने के भीतर 6,400 रुपये पार्सल खर्च, 1,350 रुपये सामग्री की कीमत और मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 15,000 रुपये यानी कुल 23,000 रुपये अदा करने का आदेश दिया.

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