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Mustard Oil Price: भोपाल में सरसों तेल के दामों में उछाल, गरीबों की रसोई पर बढ़ा महंगाई का बोझ

Bhopal Mustard Oil Price: जुलाई महीने में जहां एक तरफ बारिश कहर ढहा रहा है, वहीं दूसरी तरफ बारिश ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है. बारिश के चलते फसलें खराब हो गई हैं, जिसके चलते सब्जियों के दामों में तेजी आ गई है. आम आदमी की थाली में मुख्य रूप से इस्तेमाल होने वाली दो चीजों में काफी महंगाई देखने को मिल रही है.  

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भोपाल में सरसों तेल के दामों में उछाल
भोपाल में सरसों तेल के दामों में उछाल
Manish kushawah|Updated: Jul 18, 2025, 04:10 PM IST
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Bhopal Inflation News: बारिश का मौसम आते ही एक तरफ जहां सब्जियों के दामों में उछाल देखा गया, वहीं अब सरसों तेल की कीमतें भी तेजी से ऊपर चढ़ रही हैं. जुलाई के पहले तीन हफ्तों में ही सरसों तेल की कीमतों में लगभग 18% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे घरेलू बजट और खासकर गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों की रसोई पर सीधा असर पड़ा है. इसका मुख्य कारण अचार बनाने का सीजन, कमजोर फसल उत्पादन, बाजार में स्टॉक की कमी और बाहरी राज्यों से आयात में हो रही देरी है.

भोपाल में सरसों तेल की कीमतों में जुलाई महीने के दौरान करीब 18% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. आमतौर पर राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में रोजाना 10 से 12 टन सरसों तेल की खपत होती है, जो इन दिनों बढ़कर 20 टन प्रतिदिन तक पहुंच गई है. थोक व्यापारी बाहर से माल मंगा रहे हैं, जिससे परिवहन लागत भी बढ़ गई है. हालांकि बाजार में सोयाबीन, सनफ्लावर और सींगदाना तेल जैसे अन्य खाद्य तेलों की स्थिर कीमतें राहत दे रही हैं, लेकिन सरसों तेल की परंपरागत उपयोगिता के चलते गरीब और मध्यम वर्ग इसकी महंगाई से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो अगर बारिश और सप्लाई संकट यूं ही जारी रहा, तो आने वाले हफ्तों में कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है.

इस सीजन से अचार की डिमांड
आपको बता दें कि इस मानसून सीजन में सरसों तेल की मांग बाजार में काफी अधिक हो गई है. इसके साथ-साथ अचार की कीमतों में भी काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी परिवारों तक सभी इसकी खरीदारी कर रहे हैं. इसकी डिमांड का सीधा असर कीमतों पर पड़ रहा है.

सप्लाई संकट ने बढ़ाई मुश्किलें
तेल कारोबारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बार सरसों की फसल कमजोर रही, जिससे उत्पादन घटा. दूसरी ओर, स्टॉक की कमी और आयात पर निर्भरता ने बाजार में उपलब्धता कम कर दी है. इस वजह से भोपाल समेत कई शहरों में थोक व्यापारियों को बाहर के राज्यों से सरसों तेल मंगवाना पड़ रहा है, जिसमें ट्रांसपोर्ट लागत भी जुड़ गई है.

रोज खपत में जबरदस्त बढ़ोतरी
भोपाल के थोक सरसों तेल व्यापारी कृष्ण कुमार बांगड़ ने बताया कि “सामान्य दिनों में राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में प्रतिदिन 10 से 12 टन सरसों तेल की खपत होती है. लेकिन इन दिनों अचार सीजन और घरेलू मांग के कारण यह खपत बढ़कर 20 टन प्रतिदिन हो गई है. इससे बाजार पर दबाव बना हुआ है और दाम तेजी से ऊपर जा रहे हैं.

दूसरे खाद्य तेल विकल्प से राहत
आम आदमी की रसोई पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है. अब केवल सरसों तेल ही नहीं, बल्कि सूरजमुखी (सनफ्लावर) और पाम ऑयल की कीमतों में भी तेज उछाल देखा गया है. हालांकि बाजार में सोयाबीन, सींगदाना और सनफ्लावर तेल जैसे अन्य खाद्य तेल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और उनकी कीमतें स्थिर हैं. यही वजह है कि सरसों तेल की महंगाई के बावजूद उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिल रही है. इससे फिलहाल बड़ी अफरा तफरी जैसी स्थिति नहीं बनी है. (सोर्सः नई दुनिया)

खाद्य तेल की कीमतें (1-17 जुलाई) 
1. सरसों के तेल की कीमत, 150 रुपए से 180 रुपए लीटर
2. सोयाबीन तेल की कीमत, 120 रुपए से 130 रुपए लीटल
3. सन फ्लावर तेल की कीमत, 132 रुपए से 140 रुपए लीटर
4. पाम तेल की कीमत, 118 रुपए से 130 रुपए लीटर
5. सींग दाना की कीमत, 150 रुपए से 160 रुपए लीटर  

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