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Bilaspur Unique Wedding: मां-बाप नहीं, यहां सास-ससुर ने कराई बहू की शादी, पढ़ें भावुक कहानी

Bilaspur Unique Wedding: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक समाज ने वो कर दिखाया, जो कोई आज तक नहीं सका. कोरोनाकाल में बेटे की मौत के बाद विधवा बहू की शादी कराकर हिंदू समाज में कुरीतियों को चुनौती दी है. आइए इस पूरी कहानी के बारे में जानते हैं.

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Bilaspur Unique Wedding
Bilaspur Unique Wedding
Manish kushawah|Updated: Jul 07, 2025, 10:47 AM IST
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Bilaspur Wedding News: बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले....यह गाना सुनते ही सभी के आंखों में आंसू झलकने लगते हैं. ऐसा ही हर बेटी की विदाई के दौरान भी देखने को मिलता है. लेकिन जब वही बेटी विधवा हो जाती है, तो समाज उसे अकेलेपन की चादर पहना देता है. ऐसे में बिलासपुर के देवांगन समाज से जुड़े श्यामलाल और सीता देवांगन ने वो कर दिखाया है, जो आज कल के लोग करने में हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं. 

दरअसल, बिलासपुर के रहने वाले देवांगन समाज के श्यामलाल और सीता ने अपनी विधवा बहू गायत्री की दूसरी शादी कर समाज में चल रही कुरीतियों को चुनौती दी है. उन्होंने साबित कर दिखाया है कि बेटी हो या बहू, वह हर हाल में खुश रहने की हकदार है. पूरे बिलासपुर में इस साहसिक और संवेदनशील फैसले की जमकर सराहना हो रही है. इससे समाज में न सिर्फ बदलाव होगा बल्कि यह प्रेरणादायी पहल भी मानी जा रही है. 

सास ससुर की सेवा में लीन
आपको बता दें कि श्यामलाल देवांगन के इकलौते बेटे पारस देवांगन थे, जिसकी शादी रायगढ़ के चुन्नी हरिलाल देवांगन की बेटी गायत्री के साथ हुआ था. लेकिन कोरोनाकाल के दौरान पारस की मौत हो गई. जिसके बाद गायत्री विधवा हो गई. बताया जा रहा है कि श्यामलाल और सीता देवांगन जब भी अपने घर में बेटे की तस्वीर और विधवा गायत्री को देखते थे, तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते थे. लेकिन विधवा गायत्री सास ससुर की सेवा में लीन बनी रहती थी. 

गायत्री का हर संभव प्रयास
बेटे की मौत के बाद श्यामलाल-सीता दोनों सदमें जैसे चले गए थे. लेकिन गायत्री का हर संभव प्रयास रहता था, कि सास-ससुर को बेटे की मौत के गम से बाहर निकाल सके. आपको बता दें कि गायत्री बेटी की तरह से दोनों लोगो की सेवा करती रहती थी. इसी बीच सीता-श्यामलाल देवांगन ने ठान लिया कि पुत्रवधू गायत्री का जीवन बर्बाद नहीं होने देंगे. 

धूमधाम से कराया विवाह
श्यामलाल-सीता दोनों ने मिलकर विधवा बहू गायत्री को बेटी की तरह अपनाया. इसके बाद उन्होंने कन्यादान करने का निश्चय किया. दोनों न मिलकर रिश्ता तलाशना शुरू कर दिया. उसके बाद देवांगन समाज में एक शिक्षित युवक आशीष ने गायत्री के साथ शादी करने की सहमति जताई. फिर आशीष और गायत्री का सामाजिक रीति रिवाज के साथ धूमधाम से विवाह किया गया. सास-ससुर के आंखों में आंसू, लेकिन उन्होंने बहू गायत्री को बेटी के रूप में कन्यादान कर, अपने घर से विदा किया. 

चारों तरफ हो रही चर्चा
शादी के दौरान देवांगन परिवार ने अपने समाज के लोगों को निमंत्रण पर बुलाया, फिर धूम धाम से शादी रचाई. इस दौरान दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देने के लिए भी पहुंचे लोगों से उन्होंने सिर्फ 1 रुपए उपहार लेकर सभी का स्वागत किया. इस पूरे पहल की चारों तरफ चर्चा हो रही है. 

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