Bilaspur: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बिलासपुर- रायपुर नेशनल हाईवे की बदहाली को लेकर सुनवाई हुई. सुनवाई से पहले नेशनल हाईवे के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को कोर्ट ने आदेश दिया कि उसी हाईवे से आइए. वो उसी से कोर्ट पहुंचे. इसके बाद सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रोजेक्ट मैनेजर से पूछा बदहाल एनएच से गुजरने पर तकलीफ हुई कि नहीं. कोर्ट ने 3 सप्ताह के भीतर शपथपत्र में जवाब मांगा है. इससे पहले कोर्ट ने पूछा कि बिलासपुर रायपुर नेशनल हाईवे की सड़क कब तक सुधारकर देंगे.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की फटकार
कोर्ट ने जब पूछा इस सड़क से गुजरकर कोर्ट पहुंचने में कितनी तकलीफ हुई, तो बात चर्चा में आ गई. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि स्थिति को सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाना और एनएचएआई का मौन रहना चिंताजनक है. हाईकोर्ट ने कहा कि बार-बार दिए जा रहे शपथ पत्रों से उद्देश्य पूरे नहीं हो रहे हैं. सिर्फ कागजों में रिपोर्ट देकर एनएचएआई जिम्मेदारी से नहीं बच सकता. दरअसल चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच में सुनवाई में खराब सड़कों की मरम्मत नहीं किए जाने को लेकर चीफ जस्टिस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. चीफ जस्टिस ने नेशनल हाईवे के प्रोजेक्ट मैनेजर को नोटिस जारी कर इसी सड़क मार्ग से होते हुए कोर्ट में तलब किया था. कोर्ट ने कहा कि सरगुजा संभाग और बिलासपुर संभाग के लोग रायपुर बिलासपुर NH से ही होकर राजधानी पहुंचते हैं. इतनी महात्वपूर्ण सड़क होने के बावजूद भी इसके रखरखाव में नेशनल हाईवे अर्थारिटी लापरवाही बरत रही है.
पैचवर्क जानलेवा साबित हो रहा-कोर्ट
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. इस दौरान सड़कों की खराब हालत को लेकर डिवीजन बेंच ने नाराजगी जताई थी. रायपुर से बिलासपुर के बीच एनएच का निर्माण करीब 1550 करोड़ की लागत से किया गया था. इसका निर्माण साल 2016 में शुरू हुआ था और दिसंबर 2019 में बनकर तैयार हुआ. शुरू से ही सड़कों में दरारें दिखने लगी थी. जनहित याचिका में सड़क की दुर्दशा, हादसें और निर्माण कार्यों की धीमी गति पर सवाल उठाए गए. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एनएच के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि सड़क की स्थिति ऐसी है कि पैचवर्क जानलेवा साबित हो रहा है. लोग और मवेशी हादसों में जान गंवा रहे हैं. निर्माण सामग्री और मलबा खुले में पड़ा है, जिससे हादसे हो रहे हैं. कोर्ट ने जमकर नाराजगी जाहिर की.