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Bilaspur Highcourt:पत्नी ने पति को नपुंसक बताकर मांगा तलाक, हाईकोर्ट ने बताया मानसिक क्रूरता, कहा-बिना सबूत ऐसा आरोप है क्रूरता

Chhattisgarh news: बिलासपुर में पत्नी ने अपने पति पर नपुंसक बताकर कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर की थी. इसी मामले पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने पति को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि बिना किसी मेडिकल जांच के नपुंसकता का आरोप लगाना मानिसक क्रूरता की श्रेणी मे आता है. साथ ही कोर्ट ने पति को तलाक देने की मंजूरी दे दी है.  

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Bilaspur Highcourt:पत्नी ने पति को नपुंसक बताकर मांगा तलाक, हाईकोर्ट ने बताया मानसिक क्रूरता, कहा-बिना सबूत ऐसा आरोप है क्रूरता
Harsh Katare|Updated: Jul 17, 2025, 07:12 PM IST
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Wife Accusing Husband Impotency:छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक पत्नी ने पति पर नपुंसक होने का आरोप लगाया. इस मामले को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना किसी मेडिकल जांच के नपुंसकता का आरोप लगाना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है. साथ ही हाईकोर्ट ने फैमली कोर्ट के आदेश को नकारते हुए पति को तलाक देने की मंजूरी दे दी है.

2013 में हुई थी शादी
दरअसल,  जांजगीर-चांपा जिले के युवक और बलरामपुर की युवती की शादी 2 जून 2013 में हुई थी. पति एक शिक्षाकर्मी के तौर पर बैकुंठपुर के चरचा कॉलरी में कार्यरत था. वबीं पत्नी आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता है, शादी के बाद दोनों के बीच अनबन होना शुरू हो गई. पति को पत्नी ने नौकरी छोड़ने या ट्रांसफर कराने का दबाव भी डाला. शादी के बाद जब बच्चे नहीं हुए तो लगातार कलेश होने लगे. जिस कारण दोनों साल 2017 से  अलग-अलग रहने लग गए थे, जिसके बाद  2022 में पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दर्ज कराई.

फैमली कोर्ट में हुई सुनवाई
पती ने अपने तलाक की याचिका फैमिली कोर्ट में दाखिल की जिससे बाद वहां सुनवाई में पत्नी ने पति पर यौन संबंध बनाने में अक्षम होने का आरोप लगाया. लेकिन दावे के समर्थन में कोई मेडिकल सबूत पेश नहीं किए. इसके साथ ही कई और झूठे इल्जाम भी पति पर लगाए. फैमिली कोर्ट में पति के पक्ष में सुनवाई नहीं हुई.  
 
हाईकोर्ट ने पती के अपील में क्या कहा
फौमली कोर्ट में कोई सुनवाई ना होने पर पति ने हाईकोर्ट में तलाक कि अपील की जिसमें उसने कहा कि बिना मेडिकल जांच के इस तरह का उस पर नपुंसकता का आरोप लगाने से उसकी प्रतिष्ठा और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है. हाईकोर्ट ने इस मामले पर कहा की ऐसे आरोप क्रूरता के अंतर्गत आते हैं और यह वैवाहिक संबंध को असहनीय बना देते है. हाईकोर्ट ने पति की अपील स्वीकार करते हुए तलाक की अनुमति दे दी है और फैमिली कोर्ट के आदेश को भी रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने यह साबित कर दिया कि बिना सबूत लगाए गए आरोप न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि न्यायिक दृष्टि से क्रूरता के दायरे में भी आते है, जिससे किसी व्यक्ति का जीवन खराब भी हो सकता है.

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