Chhattisgarh Tribal Conversion News: छत्तीसगढ़ में इन दिनों धर्मांतरण और मंतातरण को लेकर चल रहा मामला तूल पकड़ता जा रहा है. हाल ही में दुर्ग में धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में केरल की रहने वाली दो नन की गिरफ्तारी हुई थी. आदिवासी बाहुल क्षेत्र बस्तर में अक्सर धर्मांतरण और मंतातरण को लेकर आए दिन विवाद होता रहता है. ताजा मामला बस्तर के कांकेड़ से सामने आया है. जहां एक गांव के बाहर बोर्ड लगाकर सख्त निर्देश दिया गया है कि यहां ईसाइयों पादरियों का आना साफ मना है.
जानिए पूरा मामला
दरअसल, छोटी-मोटी लालच के चक्कर में आदिवासी बाहुल क्षेत्र के लोग धर्मातरण के शिकार तो हो जाते हैं. लेकिन अंतिम संस्कार का मामला आता है तो अक्सर विवाद देखने को मिलता है. क्योंकि बस्तर में आदिवासी रूढ़िवादी परंपरा को मानते हैं. जिसमें कोई भी व्यक्ति की मृत्यु होती है, उसे ग्रामीण या आदिवासी परंपरा के अनुसार शव को दफन किया जाता है .जबकि ईसाई समाज में मूल धर्म की परंपरा से अलग होता है.
कुडाल गांव की अनोखी पहल
इसकी को देखते हुए भानुप्रतापपुर ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम कुडाल में ग्रामीणों ने एक अनोखा पहल किया है. जिसमे गांव के चारों ओर एक एक बोर्ड लगाया गया है. जिसमें पास्टर और पादरी को गांव में घुसाने की पूर्ण प्रतिबंध है. साथ ही बोर्ड बकायदा संविधान की अनुरूप नियम कायदा भी लिखा गया है. इस तरह की पहल करने वाला कांकेर जिला में पहला गांव ग्राम कुडाल बना है.
जानकारी के मुताबिक, लगभग 9 धर्मांतरित परिवार 10 दिन पहले धर्मांतरित परिवार के एक महिला की मृत्यु होने के बाद कफन दफन को लेकर गांव में बवाल हुआ था. जिसके बाद ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर पास्टर पादरी को गांव में आने से सख्त मना किया गया है. हम आप को बता दे की पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा की मान्यता होता है जो अपने संस्कृति और परंपराओं के सुरक्षा करने के लिए निर्णय लेने में सक्षम है.
रिपोर्ट- गौतम सरकार, जी मीडिया, कांकेर
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