Jal Jeevan Mission Corruption Durg: दुर्ग जिले में जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत हुए कार्यों में एक बार फिर भारी भ्रष्टाचार सामने आया है. जिले के रुदा ग्राम पंचायत में पीएचई विभाग द्वारा लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई पानी टंकी आज गांव की प्यास नहीं बुझा रही. बल्कि एक मज़ाक का केंद्र बन गई है. बनाना था पानी की टंकी, पर बना दिया नमूना. आखिर क्या है ये नमूना देखिए दुर्ग से आई इस खास रिपोर्ट में...
सरकार की जल जीवन मिशन की योजना जिसके अंतर्गत अंतिम व्यक्ति तक पानी पहुचाने की कवायद की जा रही है. लेकिन अब ये पानी पहुंचाने के लिए बनाई पानी की टंकी में टंकी ही नहीं बनी. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं. आप ये पानी की टंकी सरकारी योजनाओं में व्याप्त लापरवाही और घोटाले की जीती जागती मिसाल है.
आधी-अधूरी टंकी
दरअसल, दुर्ग जिले के ग्राम रुदा में यह टंकी आधी अधूरी हालत में बनाई गई है. कॉलम, बीम और स्लैब ढाल दिया गयाय लेकिन पानी स्टोर करने के लिए जरूरी वर्टिकल वॉल बनाई ही नहीं गई. बिना टंकी के ही स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया गया. नतीजतन टंकी का स्ट्रक्चर बगैर भंडारण क्षमता के खड़ा है. इस मामले पर जब zee media की टीम ने जिला प्रशासन के अधिकारियों से सवाल करना चाहा तो उन्होंने साफ मना कर दिया.
बता दें कि महज 6 महीने पहले बनाई गई इस अजीबो गरीब पानी की टंकी अब ग्रामीणों के लिए सेल्फी पॉइंट बन गई है. यहां लोग हवा खाने और सेल्फी लेने आते हैं. ये पानी टंकी अब जिला प्रशासन के अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की इमारत बन चुकी है. ZEE MEDIA की टीम जब मौके पर पहुंची तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. बताया गया कि ऐसी अधूरी पानी टंकी आज तक नहीं बनी.
क्या बोले सरपंच
इतना ही नहीं टंकी का निर्माण इतना कमजोर है. कि स्ट्रक्चर पूरी तरह भरभरा कर कभी भी गिर सकता है तो वही इस मामले पर गांव के सरपंच का कहना है कि उन्हें भी नहीं पता कि आखिर ऐसा क्यों किया गया है. वहीं, अधिकारियों से जब जवाब मांगा गया तो उन्होंने किसी प्रकार की कोई जवाब नहीं दिया.
हालांकि, यह जल जीवन मिशन वाले पानी की टंकी है. लेकिन जब तक पानी को संरक्षण करने के लिए ऊपर टंकी नहीं बनेगी, तब तक यह किसी काम के नहीं है. क्योंकि इसमें पानी ही नहीं आएगा तो, वहीं काम भी पूरा नहीं हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि टंकी के नाम पर केवल ढांचा खड़ा किया गया है. पानी के लिए टंकी बनी ही नहीं ठेकेदार ने टंकी ही नहीं बनाई. वहीं गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र का कहना है कि टंकी का स्ट्रक्चर तो बन गया. लेकिन टंकी नहीं बनी ठेकेदार ने इसे अधूरा छोड़ दिया है.
रिपोर्ट- हितेश शर्मा जी मीडिया दुर्ग
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