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MP में सांप घोटाल: एक ही युवक को बार-बार सर्प ने डंसा, अधिकारियों ने गटका 11 करोड़

Shivni Snakebite Scam: एमपी में सांप काटने के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है. जहां कागजों में एक ही लोग को बार-बार मृत दिखाकर उसके नाम से करोड़ों रुपये का गबन किया गया है. इस भ्रष्टाचार में कई अधिकारी भी शामिल हैं. 

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Meta AI (सांकेतिक तस्वीर)
Meta AI (सांकेतिक तस्वीर)
Shubham Kumar Tiwari|Updated: May 21, 2025, 11:42 PM IST
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MP Snakebite Scam: 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स, चारा घोटाला और व्यापाम जैसे बड़े और चर्चित घोटालों के बारे में तो सुना ही होगी. लेकिन इन दिनों इससे अलग एमपी का सांप घोटाला चर्चा को में है. हो भी क्यों न, ऐसा घोटाला कम ही देखने-सुनने को मिलता है. यह घोटाला छोटा-मोटा घोटाला नहीं बल्कि 11 करोड़ 26 लाख रुपये का बताया जा रहा है. इस घोटाले ने प्रशासनिक व्यवस्था की लापरवाही और भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है. 

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सांप काटने से मृत्यु होने पर 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है. इसी स्कीम के तहत एमपी के सिवनी जिले में सर्पदंश घोटाला हुआ है. जहां  47 मृत व्यक्तियों के नाम पर बार-बार फर्जी मृत्यु का दावा कर सरकारी राशि का गबन किया गया है. बताया जा रहा है कि सर्पदंश से एमपी सिवनी में 11 करोड़ 26 रुपये का घोटाला हुआ है.

मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, इस सर्पदंश घोटाले में रमेश नामक युवक को 30 बार अलग-अलग दस्तावेजों में मृत बताया गया, वह भी हर बार सांप के काटने से. वहीं, रामकुमार को भी 19 बार मरा दिखाकर 38 फर्जी रिकॉर्ड के जरिए यह बड़ा घोटाला हुआ है. इस घोटाले में एक ही नामों पर मृत्यु दावा और फसल क्षतिपूर्ति के आधार पर एक ही रिकॉर्ड को बार-बार संशोधित कर नए बिल तैयार किया गया और सरकारी राशि इनके खातों में ट्रांसफर किए गए. 

जानिए कब से शुरू हुआ घोटाला
बताया जा रहा है कि यह घोटाला साल 2019 में शुरू हुआ और 2022 तक जारी रहा. "द रॉयल सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 से 2022 के बीच यानी दो साल में मध्यप्रदेश सरकार ने सांप के काटने पर 231 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा था. इन दो वर्षों में  5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी." वहीं, सिवनी जिले में हुए इस घोटाले में एक नहीं बल्कि कई अधिकारियों के लापरवाही सामने आई है. जिन्होंने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया है.  इस मामले में सहायक ग्रेड 3 सचिव सहायक के साथ 46 अन्य लोगों के नाम सामने आए हैं, जिनमें तत्कालीन एसडीएम अमित सिंह समेत पांच तहसीलदारों की भी भूमिका संदिग्ध मिली है.

जांच में हुआ बड़ा खुलासा
इस मामले के सामने आने के बाद से जांच शुरू हो गई है. जांच में सामने आया है कि मृत व्यक्तियों के नाम पर बिना मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस वेरिफिकेशन और पीएम रिपोर्ट के भी बिल पास किए गए हैं. जांच में यह भी सामने आया है कि  इन अधिकारियों की आईडी और अधिकारों का दुरुपयोग कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए हैं और उसी आधार पर भुगतान पास हुआ. 

सुनियोजित तरीके से हुआ घोटाला
जांच अधिकारी के मुताबिक, मुख्य आरोपी ने अपने परिवार, दोस्तों और जान-पहचान वालों के खातों में राशि ट्रांसफर की. जांच रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि शासन की राशि सीधे लाभार्थी खातों में न जाकर, निजी खातों में गई है. इससे यह स्पष्ट है कि यह घोटाला सुनियोजित और संगठित तरीके से किया गया. इस घोटाले ने सरकार की IFMS प्रणाली, तहसील प्रशासन और जिला कोषालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. फिलहाल इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट सिवनी कलेक्टर को सौंप दी गई है. आगे की कार्रवाई उनके द्वारा की जाएगी. 

शुरू हुई राजनीति
सिवनी में हुए सांप घोटाले मामले पर प्रदेश में राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा मध्य प्रदेश में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो कभी किसी ने ना देखे हैं ना सुने हैं, सिवनी जिले में एक आदमी को 38 बार सांप ने काट लिया और सांप काटने पर मिलने वाली चार लाख रुपये की राशि का घोटाला हो गया, सिवनी जिले में ऐसे मामलों में 11 करोड़ रुपये का घोटाला हो चुका है तो पूरे राज्य में क्या हाल होगा? वहीं, दूसरी तरफ भाजपा यह दावा कर रही है कि हमारी सरकार में करप्शन के लिए कोई जगह नहीं है, जैसे ही मामला सामने आया जांच हो रही है और किसी आरोपी को छोड़ा नहीं जाएगा.

सोर्स- एजेंसी PTI

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