Gwalior Property Digitization: मध्य प्रदेश डिजिटलाइजेशन की तरफ लगातार बढ़ रहा है. सरकार की तरफ से इसको लेकर तैयारी भी शुरू कर दी गई है कि जमीन से जुड़ा सभी रिकॉर्ड ऑनलाइ किए जाएंगे, जिसके बाद से एक क्लिक पर जमीन से जुड़ा पूरा ब्योरा घर बैठे देख सकते हैं. ऑनलाइन पोर्टल पर सिर्फ 8 दस्तावेज ऑनलाइन होने पर घर बैठे जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इसके साथ-साथ न ही नकल के लिए परेशान होना पड़ेगा. लोक सेवा केंद्र से तुरंत नकल भी प्राप्त हो जाएगी.
इतना ही नहीं सभी सेवाएं ऑनलाइन होने से माफिया भी सरकारी जमीनों पर कब्जा नहीं सकेंगे. इसके अलावा पुराने रिकॉर्ड का अवलोकन व नकल में होने वाली दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. आपको बता दें कि अगले 6 महीने के अंदर लगभग 63 लाख दस्तावेजों को स्कैन किया जाएगा, जिसमें 29 लाख खसरे शामिल बताए जा रहे हैं. वहीं 11 लाख 70 हजार नामांतरण पंजी हैं.
काफी लंबा प्रोसेस
अभी तक सिर्फ ग्वालियर का 1940 से 1953 तक का ही रिकॉर्ड ऑनलाइन है. इसके बाद रिकॉर्ड तहसील व भू अभिलेख कार्यालय में बंधा रखा है. यदि किसी को अवलोकन करना है या फिर नकल लेनी है. तो इसके लिए लंबे प्रोसेस होकर गुजरना पड़ता है. इस लिए 1953 के बाद पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन किया जाएगा. आपको बता दें कि डिजिटलाइजेशन का काम ठेकेदार के बीच में छोड़ा गया था. इस कारण ग्वालियर का रिकॉर्ड डिजिटलाइजेशन नहीं हो सका था. एक बार फिर से सरकार ने इसकी शुरूआत कर दी है.
हेराफेरी संभव नहीं
मिली जानकारी के मुताबिक, ग्वालियर जिले में बड़ी संख्या में सरकारी जमीनों के रिकॉर्ड में काफी हेराफेरी की गई है. लैंड रिकॉर्ड में रखे दस्तावेजों में लोगों ने हाथ से एंट्री की. इस एंट्री के आधार पर न्यायालयों में दावा किया गया है कि खसरे में बिना सक्षण अधिकारी के एंट्री की गई है. पुराना रिकॉर्ड ऑनलाइन होने पर हेराफेरी संभव नहीं होगी, क्योंकि खतौनी की कॉपी स्कैन रहेगी. टाइप कॉफी सर्वर में मौजूद रहेगी.
ये दस्तावेज होंगे स्कैन
1. खसरा
2. जमाबंदी बी-1
3. नामांतरण पंजी
4. अधिकार अभिलेख
5. री नंबरिंग सूची
6. निस्तारक पत्रक
7. वाजिब जल अर्ज
8. सी-2 रजिस्टर
आपको बता दें कि जमाबंदी-1, जिसे खतौनी कहा जाता है. एक महत्पूर्ण भूमि अभिलेख है, जो किसी भी विशेष भूमि के मालिक, उसके आकार और उससे जुड़े अन्य अधिकारों और दायित्वों का विवरण प्रदान करता है. यह एक सहायक दस्तावेज है, जो खसरा की सहायता से बनाया जाता है. इसमें खातेवार विवरण शामिल होते हैं. (नोटः यहां दी गई जानकारी भू-अभिलेख अधीक्षक, मुन्ना सिंह गुर्जर के अनुसार दी गई.)
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