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Indore Teacher News: इंदौर की टीचर ने पहले प्रधानमंत्री, अब राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की लगाई गुहार, जानिए वजह

Indore Teacher Chandrakanta News: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक प्राइमरी टीचर चंद्रकांता जेठवानी ने महामहिम राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है. दरअसल, शिक्षक चंद्रकांता, एक दुर्लभ बीमारी की शिकार हैं, जिससे तंग आकर उन्होंने इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है.  

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 इंदौर की टीचर ने इच्छामृत्यु की लगाई गुहार!
इंदौर की टीचर ने इच्छामृत्यु की लगाई गुहार!
Manish kushawah|Updated: Aug 02, 2025, 10:50 AM IST
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Indore Teacher News: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसमें प्राइमरी टीचर चंद्रकांता जेठवानी की जिंदगी ऐसे मोड़ पर आ चुकी है, जहां राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की गुहार लगाने के लिए मजबूर हो गई हैं. बताया जा रहा है कि शिक्षक चंद्रकांता को एक दुर्लभ बीमारी 'ओस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा' से पीड़ित हैं, जिसे आम भाषा में अस्थि भंगुर रोग कहा जाता है. इस बीमारी में हड्डियां बेहद कमजोर हो जाती हैं. बिना किसी चोट के भी टूट जाती हैं. चंद्रकांता बचपन से ही इस तकलीप में जी रही हैं, लेकिन अब उनका शरीर इतना जवाब दे चुका है कि वे चलना फिरना तो दूर, ठीक से बैठ भी नहीं पाती हैं. इसके बावजूद भी व्हीलचेयर पर बैठकर रोजाना स्कूल जाती हैं, बच्चों को पढ़ाने का जुनून भी आज जिंदा है. 

वहीं चंद्रकांता ने बताया कि बचपन से उनका शरीर सामान्य बच्चों जैसा नहीं था. 2000 में इलाज के लिए अकोला, महाराष्ट्र में गईं, जहां उनके पैर की चार बार सर्जरी की गई, लेकिन हर बार हालत और बिगड़ती ही चली गई. किसी तरह एमएससी बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई पूरी की और 2001 में माध्यमिक शिक्षक के तौर पर नियुक्ति हुई. उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे स्कूटी से स्कूल जाती थीं, लेकिन धीरे-धीरे शरीर जवाब देने लगा. उन्होंने कभी हार नहीं मानी, लेकिन 2020 में एक सर्जरी के बाद तबीयत इतनी बिगड़ गई, अब वे एक जगह से दूसरी जगह करवट तक नहीं बदल सकती हैं. 

इच्छामृत्यु की गुहार लगाई
उनकी बीमारी ने धीरे-धीरे कई दूसरी समस्याओं को भी जन्म दे दिया. आज उन्हें डायबिटीज, स्किन एलर्जी, नसों में सूजन जैसी कई तरह की गंभीर समस्याएं हैं. वहीं चंद्रकांता ने बताया कि अब वो  तो मानसिक रूप से इस लगातार बढ़ती तकलीफ को सहन कर पा रही हैं और न ही शरीर साथ दे रहा है. उन्होंने साफ साफ कहा कि अब जिंदगी बोझ लगने लगी है, इसलिए राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है. यह कदम उन्होंने बहुत सोच समझकर और तकलीफों के बोझ तले उठाया है. 

अब मेरा सब कुछ इनका
चंद्रकांता एक बेहत भावुक फैसला भी ले चुकी हैं. उन्होंने पहले अपनी संपत्ति अपने 6 छात्रों के नाम की थी, जिनमें से कई नौकरी में लग चुके हैं. अब वो नई वसीयत बनाकर कुछ और जरूरतमंद बच्चों के नाम जोड़ना चाहती हैं. साथ ही ऑटो ड्राइवर को भी वसीयत में हिस्सा देने की बात कही है, जो बीते छह सालों से रोजाना उन्हें स्कूल लाने ले जाने का जिम्मा निभा रहा है. चंद्रकांता ने कहा कि जब सबने मुंह मोड़ लिया, तब बच्चों और इस ऑटोवाले ने मुझे इंसान की तरह समझा अब मेरा सब कुछ इन्ही का है. 

पहले की लगा चुकीं गुहार
मिली जानकारी के मुताबिक, इच्छामृत्यु की बात कोई पहली बार नहीं की है, इससे पहले 2017 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने अपनी हालत का जिक्र करते हुए मरने की इजाजत मांगी थी, तब उन्हें सरकार की तरफ से जवाब मिला कि भारत में इच्छामृत्यु की इजाजत नहीं है. लेकिन अब उनको ज्यादा तकलीफ हुई तो उन्होंने सीधे राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि सम्मानपूर्वक मरने की इजाजत दी जाए.

शिक्षक फैसले पर अडिग
इच्छामृत्यु की अपील के बाद सामाजिक न्याय विभाग की टीम ने उनसे मुलाकात कर काउंसलिंग की, लेकिन चंद्रकांता ने खुले शब्दों में कहा कि मैं अपने फैसले से पीछे नहीं हटूंगी. उन्होंने एक और गुहार लगाई है, उन्हें फुल टाइम केयरटेकर मिल जाए, ताकि उनकी देखभाल बेहतर हो सके. सामाजिक न्याय विभाग के अफसरों ने चंद्रकांता के इस अनुरोध को पूरा करने का भरोषा दिया है. सामाजिक न्याय विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर पवन चव्हाण ने कहा कि हमने चंद्राकांता जी के पास क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट भेजा था. उसके बाद फीडबैक मिला कि वह एक लाइलाज बीमारी की शिकार हैं.

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