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30 हजार पेंशन...10 लाख बैंक बैलेंस...फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता है MP का भिखारी, चौंकाने वाली है कहानी


Indore Beggar Story: इंदौर के राजबाड़ा में एक बुजुर्ग भिखारी, देवव्रत चौधरी की कहानी कुछ अलग ही है. कभी वह एक माने हुए इंजीनियर थे, जिन्होंने मुंबई की बड़ी कंपनियों में काम किया और अब उनके पास खुद के 10 लाख रुपए भी हैं. 15 अप्रैल को प्रशासन ने उन्हें उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेजा, जहां उनकी पूरी जिंदगी की अनसुनी कहानी सामने आई.  

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MP का पढ़ा-लिखा इंजीनियर बना भिखारी
MP का पढ़ा-लिखा इंजीनियर बना भिखारी
Manish kushawah|Updated: May 18, 2025, 12:41 PM IST
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MP Viral News: क्या आपने कभी ऐसा भिखारी देखा है? जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोले, जिसने इंजीनियरिंग में टॉप किया हो, जो मुंबई की बड़ी कंपनियों में काम कर चुका हो. इतना ही नहीं, जिसके बैंक खाते में 10 लाख रुपए भी जमा हों. इंदौर के राजबाड़ा इलाके में एक ऐसा ही बुजुर्ग हर दिन लक्ष्मी मंदिर के बाहर चुपचाप बैठा भीख मांगता था. आम लोगों की नजर में वह एक साधारण भिखारी था, लेकिन जब 15 अप्रैल को प्रशासन की टीम ने उसे उठाकर उज्जैन के सेवाधाम आश्रम पहुंचाया, तब उसकी जिंदगी की असली कहानी सामने आई. एक ऐसी कहानी जो चौंकाती भी है और सोचने पर मजबूर भी कर देती है.

दरअसल, यह कहानी देवव्रत चौधरी की है. जिन्होंने इंदौर के SGITS कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियर ही नहीं, कॉलेज के प्रेसिडेंट भी रहे चुके हैं. इतना ही नहीं मुंबई की नामी कंपनियों में इंजीनियर के तौर पर काम भी कर चुके हैं. आज भी उनके बैंक खाते में 10 लाख रुपए जमा हैं, लेकिन हालात कुछ ऐसे बने कि वो राजबाड़ा के मंदिर के बाहर बैठकर भीख मांगने को मजबूर हो गए. जब उनकी असलियत सामने आई, तो हर कोई हैरान रह गया.

फर्राटेदार इंग्लिश
मिली जानकारी के अनुसार, भिखारी देवव्रत चौधरी को 15 अप्रैल को 'इंदौर को भिक्षावृत्ति से मुक्त' अभियान के तहत प्रशासन की टीम ने उठाकर उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेजा गया. जब उन्हें आश्रम लाया गया, उस वक्त उनकी जेब में केवल 10 रुपए थे. लेकिन जब उन्होंने अपनी कहानी सुनाई, तो हर कोई हैरान रह गया. फर्राटेदार इंग्लिश बोलते हैं और उन्होंने बताया कि विनोबा भावे के साथ 11 गांवों में गैस प्लांट बनाने जैसे काम कर चुके हैं.

30 हजार पेंशन
उन्होंने बताया कि अभी तक शादी नहीं की है. 35 साल तक विनोबा भावे के आश्रम से जुड़े रहे और फिर इंदौर लौटे, जहां कुलकर्णी भट्टा इलाके में 3500 रुपए महीने किराए पर रहते थे. आगे बताया कि इमरजेंसी के समय वे मीसाबंदी भी रहे और उसी आधार पर उन्हें 30 हजार रुपए महीने पेंशन भी मिलती है. उनके दोनों भाई भी अच्छी पोस्ट पर रहे, एक सेना में कर्नल तो दूसरा बैंक में अफसर है.

सेवा करना चाहते हैं
आज भी देवव्रत चौधरी खुद को किस्मत वाला मानते हैं. कहते हैं कि सेवाधाम आश्रम में आकर उन्हें ऐसा लगा जैसे स्वर्ग मिल गया हो. अब वे कहीं और नहीं जाना चाहते. आश्रम में रहकर बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं और बाकी का जीवन सेवा में लगाना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले छह महीने से अपने परिवार से कोई संपर्क नहीं हुआ है, न ही कोई हालचाल लेने आया है.

425 भिखारी लाए गए
वहीं सेवाधाम आश्रम के संचालक सुधीर भाई गोयल ने बताया कि देवव्रत जैसे और भी कई लोग यहां आकर सम्मानजनक जीवन जी रहे हैं. फिलहाल सेवाधाम आश्रम में इंदौर से लाए गए करीब 425 भिखारी रह रहे हैं और कुल संख्या 1100 से अधिक है. प्रशासन की ये पहल कई जिंदगियों को नई दिशा देने का काम कर रही है.

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