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ना दहेज, ना तलाक... आपस में ही शादी कर लेते हैं यहां के लोग; घर-घर में हैं एक दूसरे के रिश्तेदार

Unique Village of MP: आज हम आपको मध्य प्रदेश के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां गांव का गांव एक दूसरे का रिश्तेदार है. ये लोग अपने ही गांव में शादी कर लेते हैं. इनकी शादी में कोई दहेज नहीं लगता है. 

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ना दहेज, ना तलाक... आपस में ही शादी कर लेते हैं यहां के लोग; घर-घर में हैं एक दूसरे के रिश्तेदार
Shubham Kumar Tiwari|Updated: Mar 17, 2025, 09:50 AM IST
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Unique Village of MP: मध्य प्रदेश को यूं नहीं कहा जाता है एमपी अजब है सबसे गजब है. बल्कि, यहां कई अजब-गजब चीजें देखने को मिलती हैं. ऐसी ही अजब-गजब चीजें शहडोल में शहडोल जिले की ग्राम पंचायत खन्नाथ में देखने को मिलता है. यहां एक विशेष समुदाय के लोग अपने ही गांव में शादी करते हैं. इस समुदाय के लोगों का पूरा गांव ही रिश्तेदार है. हर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से कम से कम तीन रिश्तों से जुड़ा हुआ है. आइए जानते हैं रिश्तों के भूल-भूलैया वाले इस अनोखे गांव की कहानी.

दरअसल, शहडोल जिले की ग्राम पंचायत खन्नाथ कुर्मी पटेल बाहुल्य है. चार हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव की कुल आबादी का लगभग 60 फीसदी से अधिक पटेल समुदाय के लोग रहते हैं. इस गांल में रहने वाले पटेल समुदाय के लोग अपनी अनोखी परंपरा के चलते लड़के-लड़कियों की शादी गांव में ही करते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां करीब 500 से अधिक लोगों की गांव में ही शादी हो चुकी है. हालांकि, अब कुछ शादियां गांव के बाहर भी होने लगी है. लेकिन उनकी संख्या न के बराबर ही है. 

गांव में ही शादी करने की पूरी छूट
इस गांव के लोग करीब 500 सालों से लड़के-लड़कियों की शादी अपने ही गांव में करते आ रहे हैं. कुर्मी यानी पटेल समुदाय के लोगों ने इस परंपरा को आज भी जीवित रखा है. सबसे खास बात यह है कि इस समुदाय में लड़के-लड़कियों को गांव में शादी करने की पूरी छूट दी जाती है. लड़के-लड़की अपनी पसंद से अपना जोड़ा चुन सकते हैं. इसके बाद इसकी जानकारी वे अपने परिजनों को देते हैं. जिसके बाद परिजन शादी की इजाजत देते हुए शादी की तैयारी में लग जाते हैं. ऐसा बताया जाता है कि इस गांव में हर साल चार से पांच ऐसी शादियां होती हैं, जिनकी बरात एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में निकलती है

नहीं लेते दहेज
खन्नाथ गांव में रहने वाला पटेल समुदाय के लोग दहेज के खिलाफ हैं. यहां गांव की शादी गांव में ही सैकड़ों सालों से होती चली आ रही है. लेकिन कोई दहेज नहीं लिया जाता है. सिर्फ  51 रुपये में तिलक की रस्म अदा कर ली जाती है. ग्रामीणों की मानें तो एक ही गांव में शादी करने से उन्हें कई फायदे हैं. गांव की शादी गांव में होने से कम खर्च में शादी हो जाती है. बरात पैदल ही एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले चली जाती है. इसलिए ना तो किसी प्रकार के साधन की व्यवस्था करनी पड़ी और ना ही रात में रुकने की अतिरिक्त व्यवस्था करनी पड़ती. कम खर्च में शादी होने के चलते इस परंपरा को आज भी बढ़ावा मिल रहा है. 

आज तक नहीं आएं एक भी तलाक के मामले
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि इस गांव में जितनी शादियां हुई हैं, उसमें तलाक का एक भी मामला सामने नहीं आया है. अगर किसी कारणवश रिश्तों में खटास आती है या कोई बात होती है तो गांव के लोग समझा-बुझा देते हैं. वहीं, अगर  कोई हादसा हो गया तो समाज के लोग बैठकर उसका फिर से नया रिश्ता बना देते हैं. खन्नाथ समेत आसपास के कुल आठ गांव हैं, जहां पटेल समुदाय की लगभग पूरी रिश्तेदारी है. इनमें बोडरी, पिपरिया, खैरहा, नौगांव, चौराडीह, कंचनपुर, बंडी, नदना शामिल हैं. अगर गांव के बाहर शादी होती भी है तो इन्हीं गांवों में होती है. 

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