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जबलपुर से है भगवान श्रीकृष्ण का गहरा नाता, पौराणिक कथाओं में दर्ज हैं उनके दो खास दौरे

Jabalpur news: मध्यप्रदेश के जबलपुर में श्रीकृष्ण दो बार आए थे. पहली बार वे अपनी बुआ श्रुतश्रुवा से मिलने आए थे. वहीं, दूसरी बार श्रीकृष्ण शिशुपाल के पुत्र धृतकेतु को लेने के लिए श्री कृष्ण जबलपुर आए थे.

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Krishna Janmashtami 2024
Krishna Janmashtami 2024
Abhay Pandey|Updated: Aug 25, 2024, 07:59 PM IST
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Krishna Janmashtami 2024: मध्यप्रदेश के जबलपुर में जन्माष्टमी का कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. भगवान श्रीकृष्ण का मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर से गहरा संबंध है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, वे दो बार जबलपुर आए थे. जबलपुर में भगवान श्रीकृष्ण की बुआ रहती थीं. एक बार वे सांदीपनि आश्रम से सीधे जबलपुर के चेदी में अपनी बुआ श्रुतश्रुवा से मिलने के लिए चले गए थे. बताया जाता है कि दूसरी बार श्रीकृष्ण जबलपुर में शिशुपाल के बेटे धृतकेतु को लेने गए थे. धृतकेतु ने पांडवों की ओर से महाभारत का युद्ध लड़ा था.

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पहली बार बुआ से मिलने आए थे श्रीकृष्ण
आपको बता दें कि जबलपुर भगवान कृष्ण की बुआ का घर भी था. भगवान कृष्ण की बुआ श्रुतश्रवा जो कि वासुदेव की बहन थीं, उनका विवाह चेदि राजा दमघोष से हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिशुपाल श्रीकृष्ण की बुआ श्रुतश्रुवा का बेटा था. उसके चार हाथ थे. उसे श्राप था कि जो भी पहली बार उसे देखेगा, उसकी दो भुजाएं गिर जाएंगी, और वही उसका वध करेगा. भगवान श्रीकृष्ण जब उज्जैन के सांदीपनि आश्रम से होते हुए अपनी बुआ के घर चेदी पहुंचे, तो शिशुपाल को पहली बार देखकर उसकी दोनों भुजाएं कट गईं. बुआ ने समझ लिया कि श्रीकृष्ण के हाथों ही शिशुपाल का वध होगा.

रुक्मी और शिशुपाल
यह देखकर श्रीकृष्ण की बुआ ने उनसे अनुरोध किया कि वे शिशुपाल को नुकसान न पहुंचाएं. श्रीकृष्ण ने कहा कि शिशुपाल मेरा फुफेरा भाई है, इसलिए उसकी सौ गलतियों को भी माफ किया जा सकता है. रुक्मी अपनी बहन रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था, लेकिन श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी से शादी कर ली. इससे रुक्मी और शिशुपाल दोनों ही श्रीकृष्ण के दुश्मन बन गए.

शिशुपाल का अपमानजनक व्यवहार
युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ में श्रीकृष्ण को ऊंचा आसन दिया, जिसे देखकर शिशुपाल गुस्से में पागल होकर श्रीकृष्ण को बुरा-भला कहने लगा. श्रीकृष्ण ने बुआ से किए वचन को याद रखा और उसके अपमान को सहते रहे, लेकिन जब शिशुपाल ने अपने सौ अपमानजनक शब्द पूरे कर दिए और फिर भी नहीं रुका, तो श्रीकृष्ण ने अपना धैर्य खो दिया. उन्होंने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया.

धृतकेतु को लेकर जबलपुर का दूसरा दौरा
बाद में श्रीकृष्ण ने शिशुपाल के पुत्र धृतकेतु को लेने के लिए जबलपुर के चेदी में दोबारा गए थे. यह दूसरी बार था जब श्रीकृष्ण जबलपुर गए थे. धृतकेतु ने महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से लड़ाई लड़ी थी.

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