Bhil Pradesh Kab Banega: भील प्रदेश की मांग अब तेज होती जा रही है. मध्य प्रदेश के कई जिलों में भी भील प्रदेश की मांग के लिए प्रदर्शन तेज होते जा रहे हैं, रतलाम जिला इसके केंद्र में फिलहाल बना हुआ है, क्योंकि सबसे ज्यादा प्रदर्शन यही से शुरू हुआ है. यूं तो मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग चल रही है. लेकिन मध्य प्रदेश से इसमें 13 जिलों को शामिल करने की मांग उठी है, यह जिले मालवा, निमाड़ और चंबल संभाग में आते हैं, जिन्हें भील प्रदेश में शामिल करने की मांग है. मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों ऐसे राज्य हैं जो क्षेत्रफल की दृष्टि से बढ़े हैं. वहीं दोनों राज्यों में आदिवासी समाज की संख्या भी ज्यादा है. खासकर मध्य प्रदेश में आदिवासी समाज इन राज्यों में सबसे ज्यादा है. ऐसे में भील प्रदेश की मांग अब मध्य प्रदेश में भी कई जिलों में उठ रही है.
108 साल पुरानी है यह मांग
भील प्रदेश की मांग कोई आजकल की मांग नहीं है, बल्कि इसका इतिहास आठ साल पुराना है. सबसे पहले यह मांग गोविंद गुरू ने उठाई थी. जो राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से आते थे. बताया जाता है कि जब देश में रियासती शासकों के साथ-साथ सामंतों का शासन था, उस वक्त यह लोग मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अंग्रेजों के साथ मिलकर आदिवासियों का सोशण करते थे, जैसे उन पर भारी कर लगाना, उनकी जमीनों पर कब्जा करना और जल-जंगल के अधिकारों का हनन करना उस वक्त सबसे ज्यादा चलन में था. 17 नवंबर 1913 को गोविंद गुरू का जन्मदिन मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकजुट हुए थे, जिसे अंग्रेजों ने अपने खिलाफ विद्रोह माना था. इसी दिन अंग्रेजों ने निहत्थे आदिवासियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थी, जिसमें 1500 से ज्यादा लोग शहीद हुए थे. यह घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी पहले हुई थी और उससे कही ज्यादा भीषण थी. जिसे 'आदिवासी जलियांवाला' भी कहा जाता है. इसी घटना के बाद आदिवासी एकजुट हुए और यही से भील प्रदेश की नीव पड़ी थी.
मानगढ़ थाम बना
इस घटना के बाद इसी जगह पर मानगढ़ थाम बना जहां गोविंद गुरू की प्रतिमा भी लगी है. 18 जुलाई 2025 को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से आदिवासी समाज के लोग इक्कठा हुए और भील प्रदेश बनाने की मांग की है. यह लोग मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से भी यहां पहुंचे थे. अब यह मांग इन चारों प्रदेशों के अलग-अलग जिलों में शुरू हो रही है. रतलाम और खरगोन जिले में भी इसको लेकर प्रदर्शन हो चुके हैं.
मध्य प्रदेश के 13 जिलों को शामिल करने की मांग
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इंदौर को भी शामिल करने की मांग
खास बात यह है कि भील प्रदेश में मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर को भी शामिल करने की मांग हो रही है. क्योंकि इंदौर संभाग के कई जिले आदिवासी बहुल हैं, जबकि इन जिलों की सीमा राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात से भी लगती है. भील प्रदेश का जो प्रस्तावित नक्शा दिया गया है. उस हिसाब से मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के करीब 49 जिलों को इसमें शामिल करने की मांग उठी है, जिसकी जनसंख्या करीब 3 करोड़ के आसपास हो सकती है.
मध्य प्रदेश में क्या है भील प्रदेश का रूख
बात अगर मध्य प्रदेश की जाए तो भील प्रदेश को लेकर यहां फिलहाल अलग-अलग स्थिति दिखती है. राजनीतिक तौर पर मध्य प्रदेश और राजस्थान के आदिवासी बहुल जिलों में एक्टिव भारतीय ट्राइबल पार्टी इसकी मांग सबसे ज्यादा कर रही है. रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट से निर्दलीय आदिवासी विधायक कमलेश्वर डोडियार भी इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन मानगढ़ आंदोलन से वह खुद को अलग बता रहे हैं. उनका कहना है कि वह भील प्रदेश की मांग मध्य प्रदेश विधानसभा में उठाएंगे, क्योंकि मानगढ़ में आदिवासी नेता केवल अपनी राजनीति चमकाने का काम कर रहे हैं. लेकिन मैं इस मांग को जनजागरण की मांग बनाना चाहता हूं. वहीं मध्य प्रदेश में जय आदिवासी युवा संगठन यानि जयस भी अब भील प्रदेश की मांग को लेकर रणनीति बनाने में जुट गया है. जयस का कहना है कि वह यह मांग संसद के साथ-साथ आदिवासी बहुल सभी विधानसभाओं में उठाएगा.
हालांकि मध्य प्रदेश में अब तक भील प्रदेश की मांग को लेकर कोई एक बड़ा चेहरा सामने नहीं आया है. जबकि यह मांग राजस्थान की अपेक्षा अभी मध्य प्रदेश में उतनी तेज भी नहीं लगती है. लेकिन फिलहाल यह मामला अब चर्चा में जरूर आता जा रहा है.
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