MP News: कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन गुजरात के अहमदाबाद में चल रहा है, जिसमें कई बडे़ फैसले लिए जाने हैं, इन फैसलों में मध्य प्रदेश को भी प्रमुखता से रखा गया है, एमपी से कांग्रेस के 70 से ज्यादा नेता इस आयोजन में शामिल हुए हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो बड़े नेता कमलनाथ और अरुण यादव को कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी देने वाली है. अरुण यादव को राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी का चेहरा बनाने की तैयारी चल रही है तो वहीं कमलनाथ को राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति का लंबा अनुभव रहा है, वह इंदिरा गांधी के समय से दिल्ली में एक्टिव रहे हैं, ऐसे में पार्टी उनके अनुभव का इस्तेमाल दिल्ली में करना चाहती है.
दिल्ली में बढ़ेगा मध्य प्रदेश का दबदबा
कांग्रेस की राष्ट्रीय टीम में फिलहाल मध्य प्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ही बड़ी भूमिका में नजर आते हैं, वह चुनाव और ईवीएस से जुड़े कामों को देखते हैं, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के बाद अगर कमलनाथ और अरुण यादव को भी राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी मिलती है, तो इससे कांग्रेस की तरफ से दिल्ली में मध्य प्रदेश का दबदबा बढ़ना तय है, हालांकि दोनों नेताओं को क्या जिम्मेदारी मिलेगी इस पर स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद इसका ऐलान हो सकता है.
कमलनाथ का अनुभव
मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद से ही वह प्रदेश की राजनीति में एक्टिव नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें अब राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है. 2018 से 2023 के बीच का समय छोड़ दिया जाए तो कमलनाथ एमपी की जगह दिल्ली की राजनीति में ही एक्टिव रहे हैं. आज भी उनकी गिनती गांधी परिवार के सबसे करीबियों में होती है, ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें एक बार फिर से राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी में है.
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क्या मोहन यादव की काट होंगे अरुण यादव ?
कमलनाथ और अरुण यादव कांग्रेस के लिए अहम साबित हो सकते हैं, क्योंकि इस पर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी की हाल की राजनीति को देखा जाए तो वह ओबीसी वर्ग पर केंद्रित दिखती है, जिसमें अरुण यादव मुख्य भूमिका में हो सकते हैं, क्योंकि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा आबादी इसी वर्ग की है. अरुण यादव यूपीए सरकार में मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं, लंबे समय से उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा है, खास बात यह कि बीजेपी ने एमपी में कमान मोहन यादव को सौंप रखी है, ऐसे में कांग्रेस अरुण यादव को आगे बढ़ाकर बड़ा मैसेज दे सकती है, इसके अलावा दोनों नेता मालवा से आते हैं, यह भी एक बड़ा रीजन है, अरुण यादव की गिनती राहुल गांधी के करीबियों में होती है, उन्हें CWC कांग्रेस वर्किंग कमेटी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया था.
कांग्रेस के पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल हैं मध्य प्रदेश
दरअसल, कांग्रेस ने शहर के मोहल्ले और पंचायतों को मजबूत करने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट बनाया है, जिसमें मध्य प्रदेश को भी शामिल किया गया है. क्योंकि भले ही एमपी में कांग्रेस को लगातार हार मिल रही है, लेकिन यहां पार्टी की जड़े आज भी मजबूत मानी जाती हैं, पायलेट प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो चुका है, जीतू पटवारी ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के बाद मध्य प्रदेश की सभी 230 में से लगभग 180 विधानसभाओं का दौरा किया है, जिसमें मोहल्ला से लेकर पंचायत स्तर तक कमेटी बनाने का काम शुरू हो चुका है. वहीं अब अगर इन दो नेताओं को जगह मिलती है तो इससे समझा जा सकता है मध्य प्रदेश को एआईसीसी में फिलहाल कितनी तवज्जों मिल रही है.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने युवा चेहरों को सौंपी जिम्मेदारी
खास बात यह कि विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में तमाम सीनियरों को दरकिनार करके युवा जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष और उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी. जिसे एमपी कांग्रेस में नेतृत्व के साथ-साथ पीढ़ी परिवर्तन भी माना गया था. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस युवाओं के साथ-साथ अनुभव को भी अब तरहीज देने की तैयारी है, यही वजह है कि दोनों नेता कमलनाथ और अरुण यादव को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की संभावना है.
एमपी के इन नेताओं के पास भी बड़ी जिम्मेदारी
राष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश से कांग्रेस के कुछ नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी मिली हुई हैं, जिनमें पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के पास कांग्रेस शासित तेलंगाना का प्रभार है, जबकि सीनियर विधायक ओंकार सिंह मरकाम और पूर्व विधायक कमलेश्वर पटेल कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य हैं, वहीं कुणाल चौधरी, नीलांशु चतुर्वेदी, भूपेंद्र मरावी, मनोज चौहान और सत्यनारायण पटेल भी कांग्रेस वर्किंग कमेटी में राष्ट्रीय सचिव हैं. इसके अलावा झाबुआ से कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
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