Madhya Pradesh malnutrition: एमपी विधानसभा सत्र में विपक्ष ने कुपोषण का मुद्दा उठाया. उनका आरोप है कि राज्य सरकार मुद्दे पर गंभीर नहीं है. कुपोषण के मुद्दे पर कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने बयान दिया कि राज्य में कुपोषण कम करने के लिए काजू बादाम के नाम पर सिर्फ 19 हजार रुपए खर्च किए जा रहे हैं. उसमे से भई 8 से 12 हजार कर केंद्र सरकार देती है. महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा कोई निधि नहीं दी जा रही. राज्य सरकार क्या कर रही है. सरकार कुपोषण को दूर नहीं करना चाहती. प्रदेश में हमारे बच्चों को अधिकार तक नहीं मिल पा रहा है. बच्चों के इलाज के लिए सिर्फ 980 रुपए खर्च किए जा रहे हैं. कुपोषण जो सबसे बड़ी चुनौती है, उसके ऊपर कोई गंभीरता से सवाल नहीं कर रहा है.
कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने उठाए सवाल
मिल रहे आकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, खासकर 6 साल से कम उम्र के लाखों बच्चे इससे प्रावित हैं. राज्य में 1.36 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. कुपोषण से किस तरह की समस्याएं और बिमारी होने का खतरा रहता है. कुपोषण के कारण बच्चों में बौनापन, कम वजन और कई दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं देखी जाती हैं. कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने बीजेपी सरकार से पूछा कि आदिवासी विकासखंडों में कितने बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों में साल 2020 से 2025 तक भर्ती किया गया. सरकार की योजना में कितना खर्च आया. सरकार से प्रति बच्चे खर्च की जानकारी भी मांगी है. उन्होंने कहा एक बच्चे पर आंगनवाड़ी पोषण के लिए 8 से 12 रुपये खर्च होते हैं. इसपर विधानसभा में महिला व बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने बताया कि कुपोषण निवराण के लिये पोषण पुनर्वास केंद्रों में एक बच्चे पर 980 रुपये खर्च किए जाते हैं. आदिवासी विकासखंडों में साल 2020 से जून 2025 तक कुल 85,330 बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती किया गया. दिए गए आंकड़े नीचे दिखिए....
2020-21- 11,566 बच्चों का इलाज
2021-22- 12,527 बच्चों का इलाज
2022-23- 16,522 बच्चों का इलाज
2023-24- 18,046 बच्चों का इलाज
2024-25- 20,741 बच्चों का इलाज
2024-25 (जून तक)- 5,928 बच्चों का इलाज
कुपोषण से जुड़े सवाल-जवाब
बौनेपन की समस्या
6 साल से कम उम्र के बच्चों में 40% बच्चे बौने पाए जा रहे हैं.
कम वजन
राज्य में 27% बच्चे कम वजन वाले हैं
गंभीर कुपोषण
1.36 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं.
किन जिलों में ज्यादा प्रभाव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्योपुर, सतना, मंडला जैसे जिले सबसे ज्यादा कुपोषण से प्रभावित हैं.
सरकारी योजनाएं कौन सी है
पोषण पखवाड़ा, जो गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान और उपचार के लिए है.
पोषण ट्रैकर, जो बच्चों के पोषण की स्थिति की निगरानी के लिए है.
सोया आधारित पोषण आहार, कुपोषित बच्चों के लिए पूरक आहार है