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MP के गजराज होंगे हाई-टेक, यहां बनाया जाएगा हाथियों का आधार कार्ड; जानिए प्रक्रिया


Kanha Tiger Reserve: कान्हा टाइगर रिजर्व में पालतू और विभागीय सभी हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग की जा रही है. इसके बाद उन्हें ठीक वैसा ही नंबर दिया जाएगा, जैसा इंसानों के आधार कार्ड के समय उनकी पहचान के लिए दी जाती है.   

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MP के  गजराज होंगे हाई-टेक, यहां बनाया जाएगा हाथियों का आधार कार्ड; जानिए प्रक्रिया
Shubham Kumar Tiwari|Updated: Jun 16, 2025, 08:03 PM IST
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Mandla News: कान्हा टाइगर रिजर्व से एक बड़ी और दिलचस्प खबर सामने आई है. अब इंसानों की तरह यहां के पालतू हाथियों को भी ''आधार कार्ड'' मिलने वाला है. यह कोई सामान्य पहचान पत्र नहीं होगा, बल्कि डीएनए प्रोफाइलिंग और माइक्रोचिपिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इसे तैयार किया जाएगा.

जानिए पूरी प्रक्रिया
दरअसल, मध्य प्रदेश के मंडला जिले में स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व अपनी अनूठे पहल के लिए चर्चा में है. यहां के 16 पालतू हाथियों को अब एक विशिष्ट पहचान मिलने वाली है. जो उनके संरक्षण और प्रबंधन में मील का पत्थर साबित होगी. इसे भारत सरकार WII यानी (भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून) के माध्यम से जितने भी हाथी हैं, फिर चाहे वह विभागीय प्रबंधन में हो या फिर पालतू हाथी हो. इन सबकी डीएनए प्रोफाइलिंग की जा रही है और उन्हें एक खास नंबर दिया जाएगा. यह प्रक्रिया ठीक वैसे ही होगी जैसे इंसानों के लिए आधार कार्ड तैयार किया जाता है जिससे उनकी पहचान स्थापित होती है.

ट्रैक होगी हर जानकारी
हाथियों के इस ''आधार कार्ड'' में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दर्ज होंगी. यहां हाथियों का सिरेंज से खून निकाला गया है जो डीएनए प्रोफाइलिंग करेगा. यह हाथियों की आनुवंशिक पहचान स्थापित करने में मदद करेगा. जिससे उनकी वंशावली और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ट्रैक की जा सकेगी. इसके साथ ही हर हाथी में एक माइक्रोचिप लगाई जाएगी, जो भविष्य में उनकी ट्रैकिंग और पहचान में सहायक होगी.

जानिए मुख्य उद्देश्य
इतना ही नहीं हाथियों के चारों तरफ से फोटो लिए जाएंगे और उनकी ऊंचाई, लंबाई और नाखूनों का आकार मापा जाएगा. ये सभी विवरण उनके विशिष्ट ''आधार कार्ड'' का हिस्सा बनेंगे. इस अनूठी पहल का मुख्य उद्देश्य कान्हा टाइगर रिजर्व के पालतू हाथियों की सटीक पहचान, उनके स्वास्थ्य की निगरानी और उनके बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करना है. इन विशेष नंबरों और डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिए हाथियों की अवैध तस्करी या किसी भी तरह के नुकसान की स्थिति में उनकी पहचान करना आसान हो जाएगा साथ ही, यह उनके प्रजनन रिकॉर्ड और स्वास्थ्य इतिहास को ट्रैक करने में भी मदद करेगा. जिससे उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकेगा.

रिपोर्ट- विमलेश मिश्रा, जी मीडिया मंडला

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