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इस गांव में 20 सालों से नहीं हुई है शादी, जानिए क्यों बैंड-बाजा और बारात पर लगी थी रोक

MP News-अशोकनगर जिले एक गांव में पिछले 20 सालों से शहनाई नहीं बजी है. ग्रामीणों के मन में ऐसा डर बैठ गया है कि यहां कोई शुभ काम करने की हिम्मत नहीं जुया पाया. इसके पीछे की कहानी भी बड़ी हैरान कर देने वाली है.   

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इस गांव में 20 सालों से नहीं हुई है शादी, जानिए क्यों बैंड-बाजा और बारात पर लगी थी रोक
Harsh Katare|Updated: Apr 30, 2025, 10:36 AM IST
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Marriage After 20 Years-मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले में एक ऐसा गांव है कि यहां एक घटना के बाद पिछले 20 सालों से शादी ही नहीं हुई है. ग्रामीणों के मन में ऐसा डर बैठ गया कि किसी की भी शुभ काम करने की हिम्मत ही नहीं हुई. डर ऐसा था कि उन्हें लगने लगा कि फिर से कोई अनहोनी न हो जाए. इस डर को अपने मन से निकालने में ग्रामीणों को 20 साल लग गए. 

लेकिन अब 20 सालों के बाद फिर से गांव में खुशियां लौट आईं है. अक्षय तृतीया के मौके पर इतने सालों के बाद बैंड-बाजा बजेगा, साथ ही बारात भी निकलेगी. 

पहले जानिए क्या है मामला
अशोकनगर जिले का मथाना गांव है, जिसकी आबादी करीब 300 है. ग्रामीणों के अनुसार,  करीब 21 साल पहले पंचायत चुनाव के दौरान गांव दो गुटों में बंट गया था. चुनावी रंजिश के कारण दोनों पक्षों के बीच तनाव बना रहा. फिर चुनाव के लगभग एक साल के बाद खेती से जुड़े कामकाज को लेकर दोनों पक्षों में विवाद हुआ, जिसमें एक बुजुर्ग की हत्या हो गई. 

ग्रामीणों में बैठा डर 
इस घटना के बाद ग्रामीणों के मन में ऐसा डर बैठ गया कि तब से लेकर अब तक किसी ने भी अपने बच्चों की शादी गांव में नहीं की. लोगों में यह डर बैठ गया था कि गांव में शादी करने से कोई अनहोनी हो सकती है. जिन परिवारों ने पहले से शादी तय कर दी थी, उन्होंने अपने गांव के बाहर जाकर आयोजन किए. गांव के बाहर जाकर अपने बच्चों की शादियां की. 

अब आदिवासी लड़की की हो रही शादी
करीब 20 सालों के बाद गांव में पसरा सन्नाटा खत्म होने वाला है और यहां की खोई हुई खुशियां वापस आने वाली है. क्योंकि एक गरीब आदिवासी परिवार की बेटी की शादी इसे दूर करने वाली है. इस शादी को परिवार का आयोजन नहीं, बल्कि गांव में लौटती हुई खुशियों और सामाजिक पुनर्जागरण का प्रतीक माना जा रहा है. सभी ग्रामीणों ने इस शादी के लिए इंतजाम किए हैं. 

पंचों की पहल से दूर हुई रुकावट
मथाना गांव में शादी न होने से ग्रामीणों के बीच चिंता का माहौल बना हुआ था.  एक दिन सभी ग्रामीणों ने इस विषय पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई. इस बैठक में सभी ने इस परंपरा को तोड़ने का प्रस्ताव रखा. जिले में सक्रिय अखिल भारतीय यादव महासभा के पंच को बुलाया गया था. इस बैठक में शादी कराने की सामूहिक सहमति बनी. इसके बाद गांव में यज्ञ, पूजन और कन्या भोज जैसे धार्मिक अनुष्ठान कर 'शुद्धि' की गई, ताकि शादी के लिए माहौल तैयार हो सके. अब एक आदिवासी बेटी की शादी हो रही है जिसमें पूरा गांव हिस्सा ले रहा है. 

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