Barwani Unknown Animal-मध्यप्रदेश के बड़वानी में आधा दर्जन गावों में अज्ञात जानवर के काटने से अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों की मौत के बाद गांवों में दहशत का माहौल है. करीब 18 लोगों को अज्ञात जानवर ने काटा था, इनमें से 5 लोगों को इंदौर एमवायएच भेजा गया था. यहां भी एक मरीज की मौत हो गई. वहीं एक मरीज डर कर घर लौट गया, सोमवार को उसकी भी मौत हो गई.
दहशत के चलते शाम 7 बजे के बाद गांव के लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं, जबकि एक परिवार ने तो गांव ही छोड़ दिया है. जिन लोगों की मौत हुई है उनमें रैबीज से मिलते-जुलते लक्षण पाए गए हैं, फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कौन सा जानवर है.
5 मई को अज्ञात जानवर ने किया था हमला
डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि यहां करीब 25 दिन बाद मरीज को लेकर आए थे. अस्पताल में भर्ती चैन सिंह (50) की रविवार को मौत हो गई. उसी दिन मरीज सुनील निंगवाल को परिजन अस्पताल से डिस्जार्ज कराकर वापस गांव ले गए. सोमवार को बड़वानी में उसकी भी मौत हो गई. ग्रामीणों ने के अनुसार, 5 मई की रात तलवाड़ा, मेणीमाता, सोल्यापुरा, लिंबई, ओझर, काकरिया, दवाना, सनगांव गांवों में अज्ञात जानवर ने हमला किया था. बता दें कि सोमवार शाम को दो नए मरीजों को एमवाय में भर्ती किया गया है.
रैबिज जैसे लक्षण
एमवाय अस्पताल के डॉ. अशोक यादव ने बताया कि नेशनल कम्युनिकेबल डिसीज कंट्रोल को जानकारी दे दी गई है. मरीजों को कहना है कि वे बाहर सो रहे थे, तभी जानवर ने काटा और भाग गया. जानकारी के अनुसार, रैबीज कुत्ते, तेंदुए, भेड़िए, लोमड़ी के काटने से भी होता है. इस केस में कुत्ते की आंशका है, कहा जा रहा है कि उसके मरने की भी संभावना है.
7 बजे घरों में कैद हो जाते हैं लोग
लिंबई गांव में अज्ञात जानवर के काटने से छह लोगों की मौत से दहशत का माहौल है. आलम ये है कि शाम 7 बजे के बाद लोगों ने अपने घरों से निकलना बंद कर दिया है. एक परिवार ने गांव ही छोड़ दिया है. मंशाराम की मौत के बाद बेटे का पूरा परिवार गांव छोड़कर चला गया है. सरपंच प्रतिनिधि राकेश जमरे बताते हैं कि लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया, तब प्रशासन ने सुध ली. अब स्वास्थ्य विभाग की टीम घायल मरीजों के घर जाकर उपचार कर रही है.
वन विभाग का अमला कर रहा तलाश
इधर वन विभाग का अमला जानवर की तलाश में लगा है. मंगलवार को घायल बलिराम को बड़वानी रैफर किया गया है. सीएमएचओ डॉ. सुरेखा जमरे ने बताया, पागल कुत्ते के हमले के बाद प्रभावित की सात दिन में मौत हो जाती है. रैबीज के टीके का असर लकड़बग्घे पर नहीं होता है. इससे लकड़बग्घा होने की आशंका है. अब तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है, जिससे कुछ जानकारी मिल सके.
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