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CM मोहन ने बताया कैसे हुए किसानों के काम आसान, तकनीक और अभियानों से कैसे मिली मदद?

CM Dr Mohan Yadav Interview: मध्य प्रदेश में किसानों के काम अब आसान हो गए हैं. नई तकनीक और विशेष अभियानों के जरिए कई साल पुराने मामलों का निपटारा किया जा रहा है. EXCLUSIVE INTERVIEW में सीएम डॉ. मोहन यादव ने विकसित मध्य प्रदेश के साथ-साथ किसानों के विकास के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की.

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CM मोहन ने बताया कैसे हुए किसानों के काम आसान, तकनीक और अभियानों से कैसे मिली मदद?
Mahendra Bhargava|Updated: Jul 16, 2024, 11:20 AM IST
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Madhya Pradesh News: जी मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ के इमरजिंग मध्य प्रदेश कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के विकास से जुड़े कई मुद्दों पर बात की. उन्होंने बताया कि कैसे नई सरकार में किसानों के काम आसान हुए हैं और नई तकनीक और अभियानों से कैसे मदद मिल रही है. सीएम से जब पूछा गया किसान का जीवन संघर्ष से भरा रहता है. जमीनी हक की लड़ाई जैसे उसकी जमीन की रजिस्ट्री तो इसको आसान करने के लिए सरकार कुछ पहल कर रही है? 

सीएम डॉ यादव ने जवाब में कहा, 'नामांतरण बंटवारा के विषय में पटवारी कई तरह से परेशान करते हैं,  नामांतरण के बिना आपकी रजिस्ट्री भी बेकार है. नामंत्रण कराने के लिए पटवारी के चक्कर पर चक्कर काटना पड़ते थे. अब तकनीक के जरिए इसका सरलीकरण कर दिया है. आज के समय में बहुत सारी तकनीक का बहुत लाभ है. अब जैसे आप रजिस्ट्री कराओगे बंटवारा कराओगे कंप्यूटराइजेशन के आधार पर वह जिस भी जगह का रहेगा. वैसे ही नाम चढ़ जाएगा. उसमें बीच के सारे सिस्टम खत्म कर दिए. ताकि यह जो अनावश्यक आदत पड़ी है वह सुधारने का काम हमने किया है. 

अभियान चलाकर निपटाए जा रहे मामले
मुख्यमंत्री ने बताया, 'ऐसे नामंत्रण बंटवारे के जो मसले हैं उनका अभियान हमने चलाया. पिछले जनवरी से स्टार्ट किया था. दो महीने में लगभग 30 लाख प्रकरणों का निराकरण किया है. अभी दोबारा हम एक अभियान चला रहे हैं. 18 जुलाई से 45 दिन का ऐसे पूरे प्रदेश के अंदर 55 जिलों में इस अभियान के माध्यम से सभी के नामांतरण बंटवारे प्रकरण का निराकरण काम करने का काम सरकार करेगी.' 

एग्रीकल्चर ग्रोथ पर क्या बोले सीएम?
सीएम ने बताया, ' वर्तमान में मध्य प्रदेश की एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट 25 प्रतिशत के आसपास चली गई है. अब इससे आगे और जाने की संभावना की एक तरह सैचुरेशन की स्थिति में हम जा रहे हैं. एग्रीकल्चर की फिर फूड इंडस्ट्री की श्रंखला में हमको चलना पड़ेगा. इसी प्रकार से इंडस्ट्री से लगा कर के हेल्थ, एजुकेशन, माइनिंग सेक्टर, विविध प्रकार का इंफ्रास्ट्रक्चर के कामों पर फोकस रहेगा. जो हमारी अपनी मजबूती है इसमें अपार संभावना है और इस सभी पर हम ध्यान दे रहे हैं.

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