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भोजशाला मामले में आज SC में सुनवाई, याचिकाकर्ता रखेंगे नए तर्क, क्या बदलेगा रुख?

MP News: भोजशाला मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, जहां याचिकाकर्ता एएसआई सर्वे रिपोर्ट पर लगी रोक हटाने की मांग करेंगे. याचिका में नए तर्क दिए जाएंगे.  

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भोजशाला मामले में आज SC में सुनवाई, याचिकाकर्ता रखेंगे नए तर्क, क्या बदलेगा रुख?
Ranjana Kahar|Updated: Feb 17, 2025, 08:54 AM IST
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Dhar Bhojshala News: मध्य प्रदेश के धार में भोजशाला विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. याचिकाकर्ता का कहना है कि भोजशाला को धर्म स्थल उपासना अधिनियम के दायरे में नहीं लाया जा सकता. भोजशाला को एएसआई द्वारा संरक्षित किया जा रहा है. इसलिए यह मामला मथुरा और काशी जैसा है. उन्होंने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट पर लगी रोक हटाने की मांग की है. आज की सुनवाई में याचिकाकर्ता अपने नए तर्कों के साथ कोर्ट को समझाने की कोशिश करेंगे.

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भोजशाला मामले में आज SC में सुनवाई
दरअसल, भोजशाला को लेकर कमाल मौला वेलफेयर सोसायटी की ओर से अब्दुल समद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका पर आज कोर्ट में सुनवाई होनी है. इसमें याचिकाकर्ता आशीष गोयल और अन्य नए तर्कों के साथ सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे. जिसमें बताया जाएगा कि भोजशाला का मुद्दा और इस परिसर का स्वरूप काशी-मथुरा और अयोध्या जैसा है. इसका धर्म स्थल उपासना अधिनियम 1991 से कोई लेना-देना नहीं है. यह एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) द्वारा संरक्षित इमारत है. इसलिए मूल याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए. सर्वे रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक भी हटाई जानी चाहिए.

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कोर्ट ने सर्वे का दिया था आदेश- याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने बताया कि हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से 2022 में हाईकोर्ट इंदौर बेंच में भोजशाला का पूरा हक हिंदुओं को दिलाने के लिए याचिका दायर की गई थी. हमने सर्वे की मांग की थी. कोर्ट ने सर्वे के आदेश दिए थे. धार की ऐतिहासिक भोजशाला को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 22 मार्च 2024 को सर्वे शुरू किया था, जो करीब 100 दिन तक चला. इसके बाद एएसआई ने 15 जुलाई 2024 को रिपोर्ट सौंपी. इस रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक है.

याचिकाकर्ता रखेंगे नए तर्क
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि हमारे एडवोकेट के माध्यम से विभिन्न तर्क रखे जाएंगे. यह भी मांग की जाएगी कि भोजशाला का धर्मस्थल उपासना अधिनियम से कोई संबंध नहीं है. 1991 में बने इस अधिनियम में उल्लेख है कि यह अधिनियम एएसआई द्वारा संरक्षित स्थान पर लागू नहीं होता है. भोजशाला को एएसआई द्वारा संरक्षित किया जा रहा है. इसलिए यह मामला भी मथुरा और काशी जैसा ही है. हम मांग करेंगे कि इसे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा विभिन्न धार्मिक स्थलों की एक साथ सुनवाई की व्यवस्था में शामिल न किया जाए, इसकी अलग से सुनवाई की जाए. हम आगे की कार्रवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को हटाने का अनुरोध करेंगे ताकि कोई निर्णय लिया जा सके.

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