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Dhar News: भोजशाला विवाद में नया मोड़, हिंदू पक्ष ने फिर किया SC का रुख, इस आदेश को वापस लेने की लगाई गुहार

Madhya Pradesh News In Hindi: भोजशाला मामले में हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के 1 अप्रैल के उस आदेश को वापस लेने की मांग की है, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को एएसआई (ASI) रिपोर्ट के आधार पर कोई भी कार्रवाई करने से रोक दिया था.  

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Dhar News: भोजशाला विवाद में नया मोड़, हिंदू पक्ष ने फिर किया SC का रुख, इस आदेश को वापस लेने की लगाई गुहार
Ranjana Kahar|Updated: Jul 20, 2024, 04:48 PM IST
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Bhojshala ASI Survey: मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 1 अप्रैल को जारी एएसआई रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई न करने के आदेश को वापस लेने की गुहार लगाई है. अपनी अर्जी में हिंदू पक्ष ने कहा कि कमाल मौला मस्जिद कमेटी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई जांच पर रोक लगाने की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट आई थी. लेकिन एएसआई की टीम ने जांच पूरी कर ली है. इतना ही नहीं एएसआई ने जांच रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में भी दाखिल कर दी है.

1 अप्रैल के आदेश को वापस लेने की मांग
दरअसल, हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 1 अप्रैल को एएसआई रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई न करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. हिंदू पक्ष का तर्क है कि एएसआई रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि भोजशाला में मंदिर है और अगर मुस्लिम पक्ष को रिपोर्ट पर कोई आपत्ति है तो वे हाईकोर्ट में अपना पक्ष रख सकते हैं. हिंदू पक्ष का यह भी कहना है कि हाईकोर्ट उचित आदेश पारित करने में सक्षम है.

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ASI की रिपोर्ट में मंदिर होने की पुष्टि 
हिंदू पक्ष का कहना है कि ASI  की रिपोर्ट में वहां मंदिर होने की पुष्टि की गई है. अगर मुस्लिम पक्ष को रिपोर्ट पर कोई आपत्ति है तो वह हाईकोर्ट में अपना पक्ष रख सकता है. हाईकोर्ट इस पर उचित आदेश पारित करने में सक्षम है. इसलिए अब हाईकोर्ट की कार्रवाई रोकने का कोई औचित्य नहीं है.  हिंदू पक्ष ने कहा कि एएसआई ने 2047 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें दावा किया गया है कि सनातन संस्कृति के कई चिन्ह मिले हैं. हिंदू पक्ष ने कहा कि न्याय के हित में सुप्रीम कोर्ट को अपना अंतरिम आदेश वापस लेना चाहिए ताकि मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में आगे बढ़ सके.

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रिपोर्ट- कमल सोलंकी

 

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