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holika dahan 2025: ना लकड़ी ना कोई मशाल, यहां गोलियों की तड़तड़ाहत से होती है होलिका दहन

विदिशा जिले में यहां होलिका दहन लकड़ियों या मशाल से नहीं, बल्कि बंदूक की गोली से निकलने वाली चिंगारी से किया जाता है. यह अनोखी प्रथा कई सदियों से चली आ रही है और आज भी उसी उत्साह के साथ निभाई जाती है.

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holika dahan 2025: ना लकड़ी ना कोई मशाल, यहां गोलियों की तड़तड़ाहत से होती है होलिका दहन
Shubham Kumar Tiwari|Updated: Mar 13, 2025, 03:45 PM IST
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historic holika dahan celebration vidisha: विदिशा जिले में यहां होलिका दहन लकड़ियों या मशाल से नहीं, बल्कि बंदूक की गोली से निकलने वाली चिंगारी से किया जाता है. यह अनोखी प्रथा कई सदियों से चली आ रही है और आज भी उसी उत्साह के साथ निभाई जाती है. आइए जानते हैं विदिशा जिले के सिरोंज में मनाए जाने वाले होली के इस अनोखे परंपरा के बारे में....

जानिए परंपरा
सिरोंज की इस परंपरा की जड़ें होलकर रियासत से जुड़ी हैं. पहले रावजी की होली के नाम से जानी जाने वाली इस होली में सूखी घास और रुई को इकठ्ठा कर, बंदूक से गोली दागी जाती थी, जिससे निकलने वाली चिंगारी से होलिका जलती थी. बाद में,होलकर स्टेट के कानूनगो परिवार ने इस परंपरा को जारी रखा, जो आज भी इसी विधि से होलिका दहन किया जाता है.

रोक लगाने की हुई कोशिश
महेश माथुर, जो इस परंपरा को निभाने वाले परिवार के वंशज हैं, बताते हैं कि जब सिरोंज में नवाबी शासन आया तो इस अनूठी होली पर रोक लगाने की कोशिश की गई. लेकिन परंपरा को बनाए रखने के लिए उनके पूर्वजों ने घास के ढेर पर बंदूक से गोली दागकर होली जलाई. इस ऐतिहासिक घटना के बाद यह प्रथा और भी दृढ़ हो गई और तब से लेकर आज तक पीढ़ी दर पीढ़ी इसे निभाया जा रहा है.

बरती जाती है सावधानी
डॉ. प्रशांत चौबे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सिरोंज थाना क्षेत्र के पचकुइया क्षेत्र में लगभग 100 साल पुरानी एक परंपरा है, जिसमें होलिका दहन बर्तल बंदूक से किया जाता है. घास-फूस को होलिका से दूर रखकर पहले बर्तल बंदूक से उसमें आग लगाई जाती है, और जब वह जल जाती है, तो उसी आग से होलिका दहन किया जाता है. प्रशासन इस प्रक्रिया में पूरी सावधानी बरतता है. इसके लिए लाइसेंसी राइफल का उपयोग किया जाता है और किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाव के लिए पुलिस प्रशासन पूरी व्यवस्था करता है.

जानिए कौन निभाता है परंपरा
यह परंपरा राजीव माथुर और उनके परिवार द्वारा निभाई जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. प्रशासन द्वारा एसडीएम को पहले सूचना दी जाती है, ताकि परमिशन लेकर सुरक्षा के सभी प्रबंधों के साथ परंपरा का निर्वहन हो सके. इस वर्ष भी यह परंपरा निभाई जाएगी, क्योंकि स्थानीय लोग इसे लोक परंपरा के रूप में मानते हैं. प्रशासन इस आयोजन में सुरक्षा, परमिशन और विधिकता का पूरा ध्यान रखता है.

रिपोर्ट- दीपेश साह, जी मीडिया, विदिशा

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