CM Mohan Yadav: इंदौर हर दिशा में तेजी से काम करता है, देश का नंबर वन स्वच्छ शहर इंदौर अब जल संरक्षण की दिशा में भी देश में तेजी से काम कर रहा है, जिसके लिए इंदौर को सम्मानित भी किया जाएगा. सीएम मोहन यादव ने इंदौर की तारीफ करते हुए कहा 'क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा,पंचतत्व से बना शरीरा' रामचरित मानस की इस चौपाई के पंचतत्वों में से एकजल, जीवन का आधार है. हमें जीवन के अस्तित्व के लियेजल को संरक्षित करना ही होगा. इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाना जरूरी है. ऋग्वेद की ऋचाओं में जल के महत्व, विशेषताओं और संरक्षण का संकेत है. रामायण और महाभारत में प्रकृति के संरक्षण का उल्लेख है. जल संरक्षण हमारी पुरातन संस्कृति है. यह अपनी परंपरा और संस्कारों की ऐतिहासिक विरासत है जिसे हमें अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है.'
पीएम मोदी से मिली थी काम की प्रेरणा
सीएम मोहन यादव ने कहा 'पीएम नरेंद्र मोदी की विरासत से विकास की दृष्टि समग्र कल्याण के लिए है जो प्रकृति संवर्धन से लेकर विकास के हर पक्ष में समाहित है. मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने लंबे समय तक जल संरक्षण का अभियान चलाया था, उन्हीं से प्रेरणा लेकर मध्यप्रदेश में हमने जल गंगा संवर्धन अभियान की संकल्पना की, इस अभियान का शुभारंभ 30 मार्च गुड़ी पड़वा, नववर्ष विक्रम संवत अवसर पर महाकाल की नगरी उज्जयिनी के शिप्रा तट से किया गया. यह अभियान जल संरक्षण, जल स्रोतों के पुनर्जीवन और जन-जागरुकता को समर्पित रहा है. जल संग्रह के कई कीर्तिमान रचने के साथ आज हम जल संरक्षण की समृद्धि का उत्सव मना रहे हैं.
खंडवा ने भी किया अच्छा काम
मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि इस 90 दिन तक चले अभियान में पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर जलसंरचनाओं पर काम हुआ है. इस अभियान में खंडवा जिले ने 1.29 लाख संरचनाओं का निर्माण किया है इस विशेष उपलब्धि के लिए खंडवा को भू-गर्भ जल भंडारण की दृष्टि से प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है. पीएम ने जल सुरक्षा और प्रभावी जल प्रबंधन के लिए कैच द रेन अभियान शुरू किया. इसी से प्रेरणा से लेकर मध्यप्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत बारिश की एक-एक बूंद को सहेजने का प्रयास किया गया. प्रदेश में पहली बार बरसात का जल को सहेजने का बड़े स्तर पर अभियान चला इससे भविष्य में भू-जल की निर्भरता कम होगी और पानी की हर बूंद का उपयोग होगा.
हमने प्रधानमंत्री जी के मिशन लाइफ मंत्र को आत्मसात किया और अपनी जीवन शैली में बदलाव करके पर्यावरण रक्षा का सूत्र हाथ में लिया है. इससे जन-जन में पर्यावरण मित्र के रूप में जीवन जीने की परंपरा निर्मित हुई है. प्रदेशवासी मिशन लाइफ के अनुसार प्रकृति के साथ प्रगति पथ पर आगे बढ़ेंगे. प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश में पहली बार रि-यूज वाटर पोर्टल निर्मित किया जा रहा है. यह पहल प्रदेश में जल संरक्षण और पुनः उपयोग की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. इस तर प्रदेश जल प्रबंधन के लिए तीन सिद्धांत री-यूज, रीड्यूज और री-साइकल पर आधारित रणनीति बनाकर काम कर रहा है.
एमपी 267 नदियों का मायका
यह हमारा सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश की धरती प्रकृति की विपुल सम्पदा से समृद्ध है. यह मां नर्मदा, शिप्रामईया, ताप्ती और बेतवा सहितलगभग 267 नदियों का मायका है. प्रदेश में पहली बार नदियों को निर्मल और अविरल बनाने के लिए 145 से अधिक नदियों के उद्गम को चिन्हित किया गया और साफ-सफाई के साथ पौधरोपण की शुरुआत हुई है. नदियों के तट पर पौधरोपण की यह पहलनदियों को उनके मायके में हरि चुनरी ओढ़ाने का प्रयास है. प्रदेश में पहली बार जल सरंक्षण के साथजल समृद्धि की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण की पहल की गई. इसके तहत राजाभोज ने बसाये भोपाल की ऐतिहासिक धरोहर बड़े बाग की बावड़ी को सहेजने और पुनर्जीवित करने का कार्य किया गया. मुझे यह बताते हुए खुशी है कि इस अभियान के अंतर्गत हमने 200 वर्ष पहले लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर द्वारा बनाई गई होलकर कालीन बावड़ी को जीर्णोद्धार उपरांत नया स्वरूप प्रदान किया है. इस बावड़ी का लोकर्पण करते हुएमुझे यह महसूस हुआ कि हम माता अहिल्या के लोक कल्याण के युग में पहुंच गये हैं. बावड़ियां हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर हैं, इसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लियेप्रदेश भर मेंदो हजार से अधिक बावड़ियों को पुनर्जीवित करते हुए बावड़ी उत्सव मनाया गया.
जल का संरक्षण करना है
प्रधानमंत्री ने हमारी युवा शक्ति को जल सैनिक बनाने का आह्वान किया था. इस अभियान में, मध्यप्रदेश में पहली बार 2.30 लाख जल दूत बनाये गये. मुझे पूर्ण विश्वास है कि पानी बचाने के लिए यह अमृत मित्र भविष्य में जल सुरक्षा के अग्रदूत बनेंगे. प्रदेश में पहली बार डेढ़ लाख से अधिक कृषकों ने सभी विकासखंडों में 812 पानी चौपाल का आयोजन किया. इसमें किसानों ने अपने गांव के खेतों, जल स्रोतों के संरक्षण, संवर्धन और पुरानी जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार पर विचार विमर्श किया.
बारिश का जल बचाना है
सीएम मोहन यादव ने कहा कि हमें बारिश का जल बचाना है. वर्षा के जल को संग्रहित करने और पुराने जल स्रोतों के जीर्णोद्धारके लिए यह अभियान चलाया गया।. इस अभियान की सफलता का सबसे बड़ा आधार है जनभागीदारी. सरकार,शासन-प्रशासन, समाजसेवी और प्रदेश के आमजन ने इस अभियान में सहभागिता निभाई है. जल गंगा संवर्धन अभियान के बाद अब पौधरोपण का व्यापक अभियान चलाया जायेगा. मुझे खुशी है कि जल गंगा संवर्धन अभियान शासन के साथ जनता के लिए, जनता का अभियान बन गया है. इस अभियान ने जनआंदोलन का स्वरूप ले लिया है. प्रदेश ने यह प्रमाणित किया है कि यदि सरकार और जनता मिलकर कार्य करेंतो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं. किसानों, महिलाओं, युवाओं और विद्यार्थियों ने जल संरक्षण को जीवन का मंत्र बना लिया है. इससे समाज में जल संरक्षण का भाव और भागीदारी का मानस विकसित हुआ है. इस अभियान ने हम सभी के मन को एक नये संकल्प और ऊर्जा से भर दिया है. यह अभियान केवल जल संरक्षण का कार्य नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और भविष्य की सुरक्षा का वह सूत्र है, जिससे प्रदेश की समृद्धि जुड़ी है.
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