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ईसाई पुलिस इंस्पेक्टर ने आदिवासी बनकर हासिल की नौकरी, 25 साल तक करता रहा नौकरी, अब हुआ खुलासा

MP News-जबलपुर के SI अमिताभ सिंह ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र से 25 साल तक मध्यप्रदेश पुलिस में नौकरी की. इसका खुलासा एसडीएम रिपोर्ट में हुआ, मामले में कलेक्टर ने कार्रवाई के लिए शासन को लिखा है.   

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ईसाई पुलिस इंस्पेक्टर ने आदिवासी बनकर हासिल की नौकरी, 25 साल तक करता रहा नौकरी, अब हुआ खुलासा
Harsh Katare|Updated: Apr 22, 2025, 06:50 AM IST
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Jabalpur News-मध्यप्रदेश के जबलपुर से हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां शहर के नेपियर टाउन में रहने वाले अमिताभ सिंह ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर 25 साल तक पुलिस सब इंस्पेक्टर की नौकरी की. अब इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. 25 सालों के बाद एसडीएम रिपोर्ट में मामले का खुलासा हुआ है. SI ने साल 2000 में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती होने के लिए गौड़ समाज का जाति प्रमाण पत्र बनवाया था.

एसडीएम की जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने शासन को कार्रवाई के लिए लिखा है.

ईसाई है SI
रिपोर्ट के मुताबिक अमिताभ प्रताप सिंह, उर्फ अमिताभ थियोफिलस, क्रिश्चियन है. इसने साल 2000 में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती होने के लिए गौड़ समाज का जाति प्रमाण पत्र बनवाया था.  अमिताभ प्रताप सिंह उर्फ अमिताभ थियोफेल्स वर्तमान में बुरहानपुर जिले में पुलिस लाइन में पदस्थ है. उसने 1998/ 1999 में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया था और फिर आरक्षण का लाभ लेते हुए पुलिस विभाग में भर्ती हुआ था. 

लोगों के सामने बनता था राजपूत 
एसआई अमिताभ सिंह ईसाई समुदाय से थे, लेकिन वह खुद को राजपूत बताकर पेश करते थे. 2019 में भोपाल निवासी सोनाली रात्रा ने जनजाति विभाग की तत्कालीन नायक दीपाली रस्तोगी से अमिताभ सिंह के फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर शिकायत की थी पर जांच ठंडे बस्ती में चली गई. विभाग ने न तो कोई जांच की और न ही कोई कार्रवाई की। फिर 9 अक्टूबर 2024 को अमिताभ सिंह के फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला फिर से सामने आया.

एसडीएम रिपोर्ट में हुआ खुलासा
इस बार प्रमिला तिवारी, जो भोपाल में रहती हैं, ने आयुक्त जनजातीय ई-रमेश से शिकायत की थी. कमिश्नर ट्राइबल ने अमिताभ सिंह के जाति प्रमाण पत्र की जांच के लिए जबलपुर के कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को फरवरी 2025 में एक पत्र लिखा. इसके बाद, कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि अमिताभ सिंह ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के माध्यम से पुलिस की नौकरी हासिल की थी.

SI का जाति प्रमाण पत्र फर्जी
एसडीएम रघुवीर सिंह मरावी ने मामले की बारीकी से जांच की. अमिताभ से प्राप्त सभी दस्तावेजों की समीक्षा की गई, जिसमें जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया. एसडीएम ने बताया कि उसके पूर्वजों का 1950 में तहसील रांझी, जिला जबलपुर में निवास नहीं था. अमिताभ प्रताप सिंह ने गलत जानकारी देते हुए 1997-98 में “गोंड” जनजाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाया था, इसलिए अमिताभ प्रताप सिंह का जाति प्रमाण पत्र रद्द किया जाए और उसके खिलाफ विभागीय और दंडात्मक कार्रवाई की जाए.

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