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MP News: आज निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएंगे नरेन्द्र सिंह तोमर, विपक्ष का मिला साथ

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और दो उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला ने शपथ ग्रहण के बाद अपना पद संभाल लिया है. वहीं अब विधानसभा अध्यक्ष के लिए आज चुनाव होना है.

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MP News: आज निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएंगे नरेन्द्र सिंह तोमर, विपक्ष का मिला साथ
Shikhar Negi|Updated: Dec 20, 2023, 08:37 AM IST
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Narendra Singh MP Assembly Speaker: मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और दो उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला ने शपथ ग्रहण के बाद अपना पद संभाल लिया है. वहीं अब विधानसभा अध्यक्ष के लिए आज चुनाव होना है. जिसमें विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए घोषित नाम नरेंद्र सिंह तोमर को विपक्ष कांग्रेस का साथ मिल गया है. 20 दिसंबर यानी आज नरेंद्र सिंह तोमर निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएंगे.

बता दें कि बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए रखा है. 20 दिसंबर को उन्हें निर्विरोध चुना जाएगा. क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने उन्हें समर्थन देने का ऐलान कर दिया है.

दिनमी से चुनाव जीते हैं नरेंद्र सिंह तोमर 
गौरतलब है कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने अन्य केन्द्रीय मंत्री व सांसदों के साथ तोमर को भी दिमनी विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था. चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रहे तोमर ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर जीत दर्ज की है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बसपा प्रत्याशी बलवीर दंडोतिया को 24461 वोटों से हराया. यहां 2020 उपुचनाव में कांग्रेस के रविंद्र सिंह तोमर ने जीत दर्ज की थी. इस बार वे तीसरे नंबर पर रहे.

राज्यपाल का अभिभाषण भी होगा
वहीं 20 दिसंबर को राज्यपाल का अभिभाषण भी होगा और 21 दिसंबर को अन्य सरकारी कार्य होंगे. विधानसभा में इस समय भाजपा के 163 विधायक हैं. तोमर के रूप में पहली बार विधानसभा का अध्यक्ष ग्वालियर-चंबल अंचल से बनेगा. अभी तक अधिकतर समय विंध्य और महाकौशल अंचल से अध्यक्ष बनते आए हैं.

उपाध्यक्ष पद को लेकर सस्पेंस
वहीं विधानसभा उपाध्यक्ष पद को लेकर अभी तक सस्पेंस है.15वीं विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए भाजपा और कांग्रेस में मतभेद हो गए थे. भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार उतार दिया था. हालांकि चुनाव में कांग्रेस के एनपी प्रजापति विजयी हुए थे, लेकिन इसके बाद उपाध्यक्ष का पद भी कांग्रेस ने विपक्ष को नहीं दिया.

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