MP News: मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन पर करीब 9 साल बाद रोक हटी थी, जिसके बाद एमपी सरकार ने कर्मचारियों को प्रमोशन देने का फॉर्मूला भी तैयार कर लिया था, लेकिन माना जा रहा है कि फिलहाल प्रमोशन का फॉर्मूला फिर अटक सकता है, इसलिए मोहन सरकार ने प्रमोशन की टाइमलाइन फिलहाल दो हफ्ते के लिए आगे बढ़ा दी है. क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों की तरफ से प्रमोशन के फार्मूले की जो जानकारी सीएम मोहन यादव को दिखाई गई, उस पर फाइनल सहमति अभी नहीं बन सकी है, ऐसे में फिलहाल प्रमोशन की टाइमलाइन को आगे बढ़ाकर इस पर काम किया जा रहा है.
मध्यप्रदेश में कर्मचारी संगठनों का विरोध
माना जा रहा है कि अफसरों ने प्रमोशन फार्मूले का प्रजेंटेशन जो सीएम हाउस में मुख्यमंत्री को दिखाया था, उस पर अंतिम सहमति नहीं बनी है. ऐसे में सीएम मोहन ने सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों को कुछ सुझाव दिए हैं, जिसके आधार पर नया प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया है, उसी के आधार पर यह प्रक्रिया शुरू होगी. क्योंकि कई कर्मचारी संगठनों का विरोध भी इसमें आड़े आया है. क्योंकि कर्मचारी संगठन फिलहाल सरकार की तरफ से प्रस्तावित प्रमोशन फार्मूले का विरोध कर रहे हैं. संगठनों की मांग है कि अगर 2016 से 2024 के बीच में डीपीसी अलग-अलग नहीं की गई तो फिर हर संवर्ग में वर्टिकल आरक्षण नहीं रखे जाने से सभी वर्ग के साथ न्याय नहीं हो पाएगा. माना जा रहा है कि इस विरोध की वजह से प्रमोशन का फॉर्मूला फिलहाल आगे बढ़ाया गया है.
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सरकार कर्मचारियों को खुश भी करना चाहती है और अपना वित्तीय संतुलन भी बनाए रखना चाहती है, ऐसे में साल दर साल प्रमोशन दिए जाने से सरकार पर आर्धिक बोझ बढ़ना तय माना जा रहा है. इसलिए फिलहाल नए फॉर्मूले पर विचार होना शुरू हो गया है, जिसके चलते प्रमोशन का फॉर्मूला फिलहाल 2 हफ्ते के लिए आगे बढ़ा दिया गया है.
9 साल से रुके हैं प्रमोशन
बता दें कि मध्यप्रदेश में प्रमोशन की प्रक्रिया 9 सालों से रुकी हुई थी. क्योंकि 2002 में सरकार ने प्रमोशन का नियम बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान कर दिया था, जिससे केवल आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को प्रमोश मिलता गया, लेकिन अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पिछड़ गए थे, जिसके बाद यह मामला कोर्ट में पहुंच गया था, जहां कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण हटाने की मांग की गई थी, जहां याचिका में तर्क दिया गया था कि प्रमोशन का फायदा सिर्फ एक बार मिलना चाहिए. जिसके बाद कोर्ट ने मामला स्थगित करने की बात कही थी, ऐसे में फिलहाल यह स्थिगित रही है.
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