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MP के इस गांव को कहते हैं 'वीर भूमि', जहां हर घर से निकलता है एक फौजी

Story Of Jabalpur Village: मध्य प्रदेश में एक खास गांव है, जिसे वीरों की धरती कहा जाता है. इस गांव की खास बात यह है कि हर घर से कम से कम एक युवा सेना में काम करता है. यह गांव देशभक्ति और बहादुरी के लिए जाना जाता है. आइए, इस वीरता भरे गांव की कहानी को करीब से जानते हैं.

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MP के इस गांव को कहते हैं फौजियों की फैक्ट्री?
MP के इस गांव को कहते हैं फौजियों की फैक्ट्री?
Manish kushawah|Updated: May 20, 2025, 01:49 PM IST
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Khudawal Village News: मध्य प्रदेश के जिला जबलपुर के मझौली ब्लाक के खुड़ावल गांव को वीरों की भूमि कहा जाता है. इस गांव की मिट्टी में देश प्रेम इस कदर बसा हुआ है कि इस गांव का हर दूसरा युवा सेना, सीआरपीएफ या अन्य सशस्त्र बलों में सेवा देने के लिए तैयार रहता है. साल 2019 में पुलवामा हमले में शहीद हुए अश्विनी कुमार काछी भी इसी गांव के थे. उनके परिवार वाले आज भी हर दिन उन्हें याद कर पूजा करते हैं. गांव के रिटायर्ड फौजी युवाओं को देश की सेवा के लिए तैयार करते हैं.

खुड़ावल गांव से अब तक तीन जवान देश के लिए जान की बाजी लगा चुके हैं. जिला मुख्यालय से 53 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में हर भर्ती के समय युवाओं की तैयारी जोश से भर जाती है. सुबह-शाम गांव के मैदान में पसीना बहाते नौजवानों को देखना आम बात है. अब तक यहां के तीन सपूत शहीद हो चुके हैं और आज भी लगभग 50 से ज्यादा युवा सेना और अर्धसैनिक बलों में सेवा दे रहे हैं.

गांव में बेटियां भी पीछे नहीं 
इस गांव की बेटियां भी पीछे नहीं हैं. हाल ही में पूजा पटेल नाम की बेटी का चयन सीआरपीएफ में हुआ है. लगभग तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में जितने युवा फौज में हैं, उतने ही रिटायर्ड सैनिक भी हैं जो आगे आकर बच्चों को प्रशिक्षण देते हैं. गांव में वीर शहीदों की याद में बलिदानी स्मारक भी बनाया गया है.

बेहतर सुविधाओं की मांग
गांव का एकमात्र बड़ा मैदान ही युवाओं की तैयारी का केंद्र है. आसपास के गांव जैसे दर्शनी, गुरुजी, गौरहा, भिटोनी और हरदुआ के युवा भी यहां आकर अभ्यास करते हैं. सेना में भर्ती की तैयारी में रिटायर्ड फौजी उनकी पूरी मदद करते हैं. ग्रामीणों की मांग है कि इस मैदान को बेहतर सुविधाओं से लैस किया जाए ताकि और बेहतर तैयारी हो सके.

क्या बोले गांव के सरपंच?
गांव के सरपंच गजेंद्र खंपरिया का भी कहना है कि सबसे पहले उनके चाचा शिव कुमार खंपरिया 1975 में फौज में भर्ती हुए थे. इसके बाद गांव में देशसेवा की भावना और भी बढ़ती गई. 2005 में राजेंद्र प्रसाद उपाध्याय माओवादी ऑपरेशन में शहीद हुए, फिर 2016 में रामेश्वर लाल पटेल और 2019 में अश्विनी कुमार काछी ने देश के लिए बलिदान दिया. इन बलिदानों ने गांव के हर युवा में देशभक्ति की अलख जगा दी है.

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