MP Police Transfer 2025: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में पुलिसकर्मियों के बड़े पैमाने पर तबादले का मामला अब चर्चा का विषय बन गया है. पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने 16 जून को 7 उप निरीक्षक, 42 एएसआई सहित कुल 156 पुलिसकर्मियों के तबादले के आदेश जारी किए थे. लेकिन चौकाने वाली बात यह रही कि सिर्फ 24 घंटे के भीतर ही इनमें से 14 एएसआई, 15 प्रधान आरक्षक समेत 38 पुलिसकर्मियों की सूची संशोधित कर दी गई. यह बदलाव प्रभारी मंत्री की मंजूरी का हवाला देते हुए किया गया, जबकि पहले जारी हुई सूची में ऐसा कोई जिक्र नहीं था. लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि जब पहली सूची बिना मंत्री की मंजूरी के जारी हो सकती थी, तो फिर दूसरे ही दिन इतनी बड़ी संख्या में नाम क्यों बदले गए.
तबादला सूची जारी होते ही जिले में कई पुलिसकर्मियों में हलचल मच गई. आनन-फानन में कई अफसर अपने संपर्कों को सक्रिय करने में जुट गए. जानकारी के मुताबिक, तबादला आदेश के तुरंत बाद कुछ पुलिसकर्मियों ने मनचाही जगह के लिए नेताओं तक सिफारिशें पहुंचानी शुरू कर दीं. नतीजा यह हुआ कि 17 जून को ही संशोधित लिस्ट सामने आ गई, जिसमें खास तौर से उन्हीं नामों को बदला गया जिन्हें लेकर रसूखदारों की सिफारिश आई थी. जानकारों का मानना है कि भोपाल पुलिस मुख्यालय के निर्देशों के बावजूद तबादलों में नियमों का पूरी तरह पालन नहीं किया गया है.
माननीयों का ले रहे सहारा ?
सूत्रों की मानें, तो कुछ पुलिसकर्मी अब भी अपनी पसंदीदा जगह पर पोस्टिंग पाने के लिए जनप्रतिनिधियों की सिफारिश का सहारा ले रहे हैं. तबादला आदेश जारी हुए पांच दिन से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन कई अफसर अब तक अपनी पुरानी जगहों पर जमे हुए हैं. बताया जा रहा है कि रिलीव होने में हो रही देरी के पीछे सिफारिशों और राजनीतिक हस्तक्षेप की भूमिका है. इससे यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या तबादले महज दिखावा बनकर रह गए हैं और असल में फैसला अब जनप्रतिनिधियों की मंजूरी से होता है.
गाइडलाइन की उड़ी धज्जियां?
जिले में कुछ ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें गाइडलाइन को खुलेआम नजरअंदाज किया गया. एक एएसआई को पहले विवादास्पद कामकाज के चलते हटाया गया था, लेकिन अब वही फिर से उसी जगह पोस्टिंग पाने में सफल हो गया है. इससे साफ हो गया है कि जिन अफसरों की पकड़ मजबूत है, उन्हें न तो गाइडलाइन की चिंता है और न ही तबादला नीति का असर. जिले में कई ऐसे थाने और अनुभाग कार्यालय हैं, जहां वर्षों से जमे हुए पुलिसकर्मियों को अब भी नहीं हटाया गया है. लोग कह रहे हैं कि जब तबादलों में पारदर्शिता नहीं होगी, तो फिर आम लोगों को न्याय कैसे मिलेगा. (सोर्सः पत्रिका)
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