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MP का वो 'अभागा' गांव! जहां नहीं होते बच्चे पैदा, संतान के लिए तरस रहे लोग, वजह कर देगी हैरान

Sidhi News: मध्य प्रदेश के सीधी जिले में एक ऐसा गांव है जहां 40 साल से बच्चों की कोई किलकारी नहीं गूंजी. बच्चे पैदा करने के लिए लोगों को गांव छोड़कर दूसरे गांव जाना पड़ता है. आखिर क्या है वजह आइए जानते हैं....  

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MP का वो 'अभागा' गांव! जहां नहीं होते बच्चे पैदा, संतान के लिए तरस रहे लोग, वजह कर देगी हैरान
Ranjana Kahar|Updated: May 30, 2025, 09:55 AM IST
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Sidhi Mysterious Village: वैसे तो भारत में कई रहस्यमयी गांव हैं जिनकी कहानियां काफी अलग हैं. ऐसा ही एक गांव मध्य प्रदेश के सीधी जिले में है. जहां 40 सालों से बच्चों की किलकारी नहीं सुनाई दी. वहां रहने वाले खैरवार समाज के लोग आज भी संतान के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में नई युवा पीढ़ी गांव छोड़कर दूसरे गांव में रहती है, तब जाकर उन्हें संतान की प्राप्ति हो पाती है.

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अनोखा है सीधी का ये गांव
दरअसल, मध्य प्रदेश के सीधी जिले में घने जंगलों के बीच एक अनोखा गांव है. यह गांव जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर स्थित भुईमाड़ क्षेत्र का हर्रई गांव है, जिसे सीधी जिले का आखिरी गांव भी कहा जाता है. इस गांव की आबादी करीब 4 हजार से ज्यादा है, लेकिन इस गांव में रहने वाले खैरवार समाज के लोगों को एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. अगर आंकड़ों की मानें तो पहले इस गांव में खैरवार समाज के लोगों का दबदबा था. लेकिन गांव की देवी के नाराज होने की वजह से इस गांव में रहने वाले खैरवार समाज के लोग पिछले 40 सालों से बच्चों की किलकारी सुनने को तरस रहे हैं. इस गांव के पुराने 20 लोगों के पास आज तक एक भी बच्चा नहीं है.

संतान के लिए तरस रहे लोग
मान्यता है कि गांव में खैरवार समाज के लोगों के बच्चे नहीं होते हैं. ऐसे में सरकार और प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद बच्चे की चाहत हर किसी को रहती है. लेकिन इस गांव के अलावा दूसरे गांवों में रहने वाले खैरवार समाज के लोगों के बच्चे हैं, जो अब हर्रई गांव की शान बढ़ा रहे हैं.

जानिए गांव की कहानी
80 वर्षीय छोटेलाल सिंह के मुताबिक खैरवार समाज के पूर्वज छत्तीसगढ़ से एक देवी को चुराकर गांव लाए थे, जिसे एक पुराने पीपल के पेड़ में स्थापित किया गया था. लेकिन हर साल गांव की देवी की पूजा की जाती थी और बंदूक की सलामी दी जाती थी, लेकिन सरकार ने ग्रामीणों की बंदूकें जब्त कर ली थीं, जिसके बाद गांव की देवी की पूजा की जाने लगी. लेकिन बंदूक की सलामी नहीं दी गई, तभी से अंगारा देवी नाराज हो गईं. कई शिकायतों के बाद पूर्व में सीधी के कलेक्टर रहे पंकज कुमार ने हरभजन सिंह को एक बंदूक मुहैया कराई, जिसके बाद दोबारा पूजा की गई और बंदूक की सलामी भी दी गई. लेकिन नाराज देवी तभी से नाराज हैं. यही वजह है कि खैरवार समाज गांव से पलायन कर दूसरे गांवों में बस जाता है और जब बच्चे पैदा हो जाते हैं और थोड़े बड़े हो जाते हैं तो वापस गांव में आ जाते हैं.

जिला प्रशासन से मांग
इसे आस्था कहें या अंधविश्वास? समझ से परे है लेकिन अब खैरवार समाज ने फिर से जिला प्रशासन से गांव की देवी अंगारा का मंदिर बनवाने की मांग शुरू कर दी है. वहीं नव युवकों ने बताया कि जब कलेक्टर ने बंदूकें मुहैया कराईं और देवी की पूजा की गई थी तब से दूसरे गांवों में बच्चे पैदा होने लगे हैं, लेकिन उनके गांव में आज भी बच्चे पैदा नहीं हो रहे हैं.

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बंदूक और बच्चों का कोई कनेक्शन नहीं- कलेक्टर
सीधी जिले के अंतिम गांव हर्रई की नाराज ग्राम देवी को मनाने के लिए जिला प्रशासन क्या कदम उठाता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन इस मामले में कलेक्टर का मानना ​​है कि बंदूक और बच्चों के बीच कोई कनेक्शन नहीं है, लेकिन क्षेत्रवासियों की मांग पर शासन स्तर पर जो भी संभव प्रयास होगा वह किया जाएगा.

रिपोर्ट- आदर्श गौतम

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