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नए आपराधिक कानूनों के तहत 2 दिन में 855 FIR, MP में ही दर्ज हुआ था पहला केस

New Criminal Law: देशभर में 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो चुके हैं. मध्य प्रदेश में दो दिनों के अंदर 855 एफआईआर दर्ज की गई हैं. पहला मामला भी एमपी में ही दर्ज हुआ था. 

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एमपी में दो दिन में 855 एफआईआर
एमपी में दो दिन में 855 एफआईआर
Arpit Pandey|Updated: Jul 04, 2024, 01:03 PM IST
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MP Police: एक जुलाई से देश में नए आपराधिक कानून लागू हो चुके हैं. जिसके तहत IPC, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू कर दिए गए हैं. इन नए कानूनों के तहत पहला मामला मध्य प्रदेश में ही दर्ज हुआ था. खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बात की जानकारी दी थी. जबकि दो दिनों में मध्य प्रदेश में 855 पुलिस केस दर्ज हुए हैं. इस बात की जानकारी पुलिस विभाग की तरफ से ही दी गई है. 

सभी 11 जोन में दर्ज हुईं FIR

पुलिस ने बताया कि नए कानून लागू होते ही पूरे प्रदेश में 2 दिनों में 855 एफआईआर दर्ज की गई. एक जुलाई को यानि पहले दिन कुल 378 रिपोर्ट दर्ज हुई थी, जबकि दूसरे दिन यानि 2 जुलाई को 477 मामले दर्ज किए गए थे. ये सभी मामले प्रदेश के सभी 11 जोन की सभी रेंज में रजिस्ट्रेट किए गए हैं. पहले दिन सबसे अधिक एफआईआर भोपाल अर्बन में दर्ज की गई, जिसकी संख्या 35 है, जबकि दूसरे दिन उज्जैन जिले में सबसे अधिक एफआईआर दर्ज की गई, जिसकी संख्या कुल 29 है. 

98 ई-एफआईआर दर्ज 

दरअसल, ई-एफआईआर का सिस्टम आने के बाद से ही मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है. क्योंकि ई-एफआईआर की वजह से मामले आसानी से दर्ज हो जाते हैं. मध्यप्रदेश में दो दिन के भीतर 98 ई-एफआईआर दर्ज की गई हैं. सीसीटीएनएस के मुताबिक एक जुलाई को 53 और दो जुलाई को 45 एफआईआर मामले दर्ज हुए थे. नए आपराधिक कानूनों में ई-एफआईआर को शामिल किया गया था. 

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ग्वालियर में दर्ज हुआ था पहला मामला 

नए आपराधिक कानूनों के तहत पहला मामला मध्य प्रदेश में ही दर्ज हुआ था, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने खुद इस बात की जानकारी दी थी. ग्वालियर में रात को 12 बजकर 10 मिनट पर पहला मामला दर्ज हुआ था. यह मामला बाइक चोरी का था. ऐसे में यह पहला मामला माना गया था.

गृहमंत्री अमित शाह ने बताया था कि नए आपराधिक मामलों के तहत देशभर में 22.5 लाख से ज्यादा पुलिसकर्मियों नए क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के लिए ट्रेनिंग दी गई थी. वहीं इन कानूनों पर 9.29 घंटे चर्चा हुई, उसमें 34 सदस्यों ने भाग लिया, जबकि राज्यसभा में भी नए कानूनों पर 6 घंटे से ज्यादा वक्त तक चर्चा हुई थी, राज्यसभा में कुल 40 सदस्यों ने नए आपराधिक कानूनों के लिए चर्चा में भाग लिया था. 

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