Maize Farming Tips: मध्य प्रदेश में कई बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. ऐसा ही एक जिला छिंदवाड़ा है, जहां पर लोग मक्का की खेती भी करते हैं. इसी वजह से छिंदवाड़ा जिला, मक्का उत्पादन का ब्रांड बन चुका है. इसे देशभर में कॉर्न सिटी के नाम से जाना जाने लगा है. अगर आप भी मध्य प्रदेश के किसान हैं और मक्का की खेती से करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है. आइए जानते हैं.
मक्का की खेती साल में तीन बार की जाती है. खरीफ, रबी और जायद सीजन में. हर सीजन का अपना एक खास समय होता है और इसकी बुवाई का फैसला आपको अपने गांव या इलाके के मौसम और मिट्टी को देखकर करना चाहिए. खरीफ का सीजन सबसे आम है, जिसमें जून-जुलाई के बीच मक्का की बुआई होती है.
खरीफ में मक्का की बुवाई मानसून सीजन के आस-पास होती है, जिससे खेत में नमी बनी रहती है. लेकिन बारिश ज्यादा हो जाए तो खेत में पानी भर सकता है, जिससे नुकसान हो सकता है. इस मौसम में मक्का की कीमतें भी कुछ कम रहती हैं, इसलिए खेती शुरू करने से पहले अपने इलाके के मंडी भाव और मौसम की जानकारी जरूर ले लें.
मक्का की अच्छी पैदावार के लिए खेत की सही तैयारी जरूरी है. सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी में हवा और नमी बनी रहे और बीज अच्छे से जमें. जुताई के बाद अगर आपके पास गोबर की सड़ी खाद है तो 5-6 ट्रॉली प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में जरूर डालें. इसके बाद उसे मिट्टी में अच्छे से मिला दें.
जब आप मक्का की बुआई करें, तो ध्यान रखें कि बीजों के बीच की दूरी 8 से 10 इंच और कतारों के बीच की दूरी 18 से 22 इंच होनी चाहिए. इससे पौधे अच्छे से फैलते हैं और उन्हें भरपूर हवा और सूरज की रोशनी मिलती है. ज्यादा पास-पास बोने से पौधे एक-दूसरे से टकरा सकते हैं और बढ़त रुक सकती है. बुआई करते समय अपने खेत की मिट्टी और मौसम का ध्यान जरूर रखें, तभी फसल मजबूत और भरपूर होगी.
आजकल मक्का की कई उन्नत किस्में बाजार में उपलब्ध हैं, जिन्हें कृषि विभागों ने खास मौसम और इलाकों के हिसाब से तैयार किया है. आपके क्षेत्र की मिट्टी और मौसम को देखकर ही सही किस्म का चुनाव करें. कुछ अच्छी किस्मों में देवी, जीएम-6, एचएम-4 और पीएमएच-1 जैसी किस्में शामिल हैं, जो तीनों सीजन में अलग-अलग इलाकों में बेहतर उत्पादन देती हैं.
अंत में, किसान साथियों को ये बात याद रखनी चाहिए कि मक्का की खेती में मौसम, खेत की तैयारी, बीज की किस्म और बुआई की दूरी ये चार बातें बहुत मायने रखती हैं. सही समय पर सही कदम उठाया जाए तो मक्का की अच्छी पैदावार मिल सकती है. साथ ही, सरकार की योजनाएं और अनुदान की जानकारी भी समय-समय पर लेते रहें, जिससे लागत कम हो और मुनाफा ज्यादा मिले. (नोट: इस खबर में दी गई सभी जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर मौजूद स्रोतों पर आधारित है.)