Paddy Farming Tips: इस सीजन में मध्य प्रदेश के अंदर बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है. कई जगह तो धान की रोपाई हो चुकी है. लेकिन अब किसानों को कंडुआ रोग की चिंता सताने लगी है. अगर आप भी धान की खेती कर रहे हैं, तो आइए आज हम आपको इससे बचाव के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं.
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में विंध्य इलाके के सतना-मैहर समेत इन जिलों में धान की खेती खूब जाती है. क्योंकि यहां पर किसानों की मुख्य अजीविका मानी जाती है. लेकिन यह रोग किसानों के लिए चिंता का विषय है. इसका नाम यूएसटीलैगो वाइट नाम का फफूंद होता है. जो धान की पत्तियों और बालियों को संक्रमित कर पीला और हरा बना देता है.
अगर कंडुआ रोग को समय रहते न रोका गया तो पूरे खेत में लगी धान की फसल बर्वाद हो सकती है. वहीं जिले के किसानों को कृषि विभाग की तरफ से सलाह दी गई है कि यह रोग बालियों में होने वाली ग्रोथ को कम कर देता है. जिससे दाने की जगह फफूंदी जैसे पीले-मटमैले गोले बन जाते हैं.
वहीं उन्होंने कहा कि खेतों में अगर हल्का हल्का असर दिखने लगे तो उस का तुरंत इलाज करना चाहिए. अगर समय पर इलाज नहीं किया तो पूरे खेत में धीरे-धीरे फैल जाएगा. जिससे न सिर्फ फसल पर असर पड़ेगा, बल्कि धान की पैदावार पर भी भारी असर देखने को मिलेगा.
वहीं कृषि एक्सपर्ट ने कहा कि धान की बुवाई से पहले कम से कम आधा घंटा के लिए बीज को 0.2% कैप्टन या 0.1% कार्बेन्डाजिम घोल में भिगोना चाहिए. इसके बाद बीज को सुखाकर, धान की बुवाई करनी चाहिए. जिससे फसल में रोग नहीं लगेगा और न ही फसल की पैदावार पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा.
अगर किसानों ने पहले धान की पौध तैयार की है, उसके बाद धान की रोपाई करना चाह रहे हैं. तो धान की पौध को उखाड़कर सबसे पहले जड़ों को कार्बेंडाजिम घोल में डुबाकर ही खेत में रोपाई करनी चाहिए.
इसके साथ-साथ फसल चक्र को अपनाएं और पुराने संक्रमित अवशेष खेत में न छोड़ें. उन्होंने बताया कि अगर कंडुआ रोग से बचना चाहते हैं, तो किसान इस प्रक्रिया को अपनाते रहें, ताकि अन्य बीमारियों से भी फसल को सुरक्षित बचाया जा सके.
वहीं कृषि एक्सपर्ट ने कहा कि अगर इस तरीके से धान की फसल की जाए, तो यकीनन धान के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी. उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ कंडुआ रोग खत्म होगा, बल्कि अन्य कीड़े-मकोड़े भी फसल से दूर रहेंगे.